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सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं का उग्र प्रदर्शन
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काठमांडू में कर्फ्यू, सरकार पर बढ़ा दबाव
नेपाल, 8 सितंबर 2025। Curfew in Kathmandu: नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोमवार, 8 सितंबर 2025 को एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में हजारों Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर धावा बोल दिया। यह आंदोलन सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, एक्स, यूट्यूब, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम, पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध में शुरू हुआ। इन प्लेटफॉर्म्स को सरकार ने 4 सितंबर को पंजीकरण न करने के आधार पर ब्लॉक कर दिया था।
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प्रदर्शनकारी इस प्रतिबंध को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं और इसे भ्रष्टाचार और सरकारी दमन के खिलाफ अपने आंदोलन का हिस्सा बनाए हुए हैं। इस उग्र प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया।
1997 से 2012 के बीच जन्मे युवा शामिल
प्रदर्शनकारी, जिनमें ज्यादातर 1997 से 2012 के बीच जन्मे युवा शामिल थे, शुरू में शांतिपूर्ण ढंग से माइतीघर मंडला से संसद की ओर मार्च कर रहे थे। उन्होंने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ नारे लगाए, जैसे “हमें पारदर्शिता चाहिए” और “हमारे अधिकार वापस करो”। लेकिन न्यू बानेश्वर में संसद भवन के पास पहुंचते ही स्थिति बेकाबू हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की बैरिकेड्स तोड़ दीं और संसद के गेट नंबर 2 पर आग लगा दी। कुछ युवाओं ने दीवारें तोड़ीं और संसद परिसर में घुस गए। पुलिस ने जवाब में वाटर कैनन, आंसू गैस और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। स्थानीय मीडिया के अनुसार, पुलिस की गोलीबारी में एक 21 वर्षीय गो-जेक ड्राइवर की मौत हो गई, जिससे प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और भड़क गया।
एसएसपी ने की हवाई फायरिंग
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडू जिला प्रशासन ने न्यू बानेश्वर चौक से लेकर तिनकुने, शांतिनगर, और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया। यह कर्फ्यू स्थानीय प्रशासन अधिनियम, 2028 के तहत लगाया गया। काठमांडू के पुलिस प्रमुख एसएसपी विश्व अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग भी की गई।
कई प्रदर्शनकारी घायल हुए और कुछ को गिरफ्तार किया गया। सरकार का दावा है कि सोशल मीडिया बैन नियामक अनुपालन के लिए था, लेकिन युवा इसे अपनी आवाज दबाने की साजिश मानते हैं। इस घटना ने नेपाल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि प्रदर्शनकारी संसद जैसे संवेदनशील क्षेत्र में घुसने में कामयाब रहे।
यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं है। Gen-Z प्रदर्शनकारी लंबे समय से सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और नागरिक अधिकारों पर बढ़ते नियंत्रण से नाराज हैं। यह आंदोलन अब काठमांडू से बाहर पोखरा, बिराटनगर और बुटवल जैसे शहरों में भी फैल गया है। कई नेपाली अभिनेता और गायक इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, जिससे यह जन आंदोलन का रूप ले चुका है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक सरकार सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती। दूसरी ओर, केपी शर्मा ओली सरकार पर इस संकट को संभालने का दबाव बढ़ रहा है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो यह नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा सकती है।
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