Home » देश » Controversial Bill: विवादित बिल और ADR रिपोर्ट, क्या बीजेपी हटाएगी अपने दागी नेताओं को ?

Controversial Bill: विवादित बिल और ADR रिपोर्ट, क्या बीजेपी हटाएगी अपने दागी नेताओं को ?

Share :

Modi Amit Shah

Share :

  •  भ्रष्टाचार के खिलाफ नया कानून और बीजेपी की रणनीति

नई दिल्ली, 24 अगस्त 2025। Controversial Bill:  हाल ही में केंद्र सरकार ने एक विवादास्पद विधेयक पेश किया है, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद नेताओं को उनके पदों से हटाना है। इस विधेयक के तहत, यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिनों तक जेल में रहता है और उसे जमानत नहीं मिलती, तो वह स्वतः ही अपने पद से अयोग्य हो जाएगा।

इसे भी पढ़ें- Amit shah: अमित शाह के प्रस्तावित कानून से 9 गैर-भाजपा नेताओं की कुर्सी खतरे में, कोई BJP नेता शामिल नहीं

इस बिल को लेकर सियासी गलियारों में हलचल मच गई है और विपक्ष ने इसे सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने की रणनीति करार दिया है। दूसरी ओर, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की हालिया रिपोर्ट्स ने देश भर के नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की स्थिति को उजागर किया है, जिसने इस विधेयक की प्रासंगिकता को और बढ़ा दिया है। सवाल यह उठता है कि अगर यह बिल कानून बनता है, तो क्या बीजेपी अपने उन नेताओं को हटाएगी, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं?

एडीआर की रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के कई सांसदों और विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। उदाहरण के लिए, बिहार में 73% सांसदों पर आपराधिक मामले हैं, और राष्ट्रीय स्तर पर 40% सांसदों के खिलाफ ऐसे केस दर्ज हैं। बीजेपी, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करती है, इस बिल को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत कदम बता रही है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह बिल चुनिंदा नेताओं को निशाना बनाने का हथियार बन सकता है। इस लेख में, हम इस विधेयक के प्रभाव, एडीआर की रिपोर्ट्स, और बीजेपी की स्थिति का विश्लेषण करेंगे।

भ्रष्टाचार पर लगाम या राजनीतिक हथियार?

केंद्र सरकार ने तीन विधेयकों—संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025— को लोकसभा में पेश किया है। इन विधेयकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भ्रष्टाचार या गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तार कोई भी नेता अपने पद पर न रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि अगर कोई नेता 30 दिनों तक जमानत नहीं ले पाता, तो उसे पद छोड़ना होगा। इस कदम को सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर रुख के रूप में पेश किया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे संविधान के खिलाफ और विपक्षी सरकारों को कमजोर करने की साजिश बताया है।

विपक्ष का तर्क है कि यह बिल उन नेताओं को निशाना बना सकता है, जो सत्ताधारी दल के खिलाफ हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल जैसे नेताओं ने जेल में रहते हुए भी अपने पद नहीं छोड़े थे, क्योंकि मौजूदा संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। विपक्ष का कहना है कि इस बिल का दुरुपयोग विपक्षी दलों के नेताओं को फंसाने के लिए हो सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा, चाहे वह सत्ताधारी दल का नेता हो या विपक्ष का।

हालांकि, बीजेपी की अपनी पृष्ठभूमि भी सवालों के घेरे में है। एडीआर की एक पुरानी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बीजेपी ने बड़ी संख्या में दागी नेताओं को चुनावी टिकट दिए थे। ऐसे में, अगर यह बिल कानून बनता है, तो क्या बीजेपी अपने उन नेताओं पर कार्रवाई करेगी, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजेपी ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख का दावा किया है।

एडीआर रिपोर्ट और बीजेपी की चुनौती

एडीआर की हालिया रिपोर्ट्स ने भारतीय राजनीति में आपराधिक मामलों की गंभीरता को उजागर किया है। 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 40% सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 25% गंभीर अपराधों से संबंधित हैं। बिहार जैसे राज्यों में यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है, जहां 73% सांसद दागी हैं। इसके अलावा, 2024 की एक अन्य रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।

इन आंकड़ों के मद्देनजर, बीजेपी के सामने एक दोहरी चुनौती है। एक ओर, वह personally corruption के खिलाफ सख्त कानून लाकर अपनी छवि को मजबूत करना चाहती है। दूसरी ओर, उसे अपने उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ सकती है, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। उदाहरण के लिए, 2022 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बीजेपी के कई विधायकों और सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। अगर यह बिल कानून बनता है, तो बीजेपी को अपनी पार्टी के भीतर भी सफाई करनी होगी, जो एक राजनीतिक जोखिम भरा कदम हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एक जनसभा में कहा कि यह कानून भ्रष्टाचारियों को जेल और कुर्सी दोनों से हटाएगा। उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनकी सरकार पर 2014 से अब तक भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा है। हालांकि, एडीआर की रिपोर्ट्स बीजेपी के इस दावे पर सवाल उठाती हैं, क्योंकि पार्टी के कईunspecified नेताओं पर भी आपराधिक मामले हैं।

बीजेपी के लिए अवसर और चुनौती

यह विवादित बिल और एडीआर की रिपोर्ट्स भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती हैं। अगर यह बिल कानून बनता है, तो यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत कदम हो सकता है, लेकिन इसके दुरुपयोग की आशंका भी बनी रहेगी। बीजेपी के लिए यह बिल एक अवसर है, जिससे वह अपनी भ्रष्टाचार विरोधी छवि को मजबूत कर सकती है। हालांकि, यह उसके लिए एक चुनौती भी है, क्योंकि उसे अपने दागी नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पड़ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस कानून को लागू करने में निष्पक्षता दिखाएगी या यह बिल केवल विपक्ष को निशाना बनाने का हथियार बनेगा।

इसे भी पढ़ें- RSS का स्वर्णिम युग, राष्ट्रपति से लेकर गवर्नर तक, प्रमुख पदों पर स्वयंसेवकों का कब्जा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
News Portal Development Services in Uttar Pradesh
Cricket Score
सबसे ज्यादा पड़ गई
Share Market

शहर चुनें

Follow Us