नई दिल्ली 11 अक्टूबर 2025। Coldrif Syrup Ban: दिल्ली सरकार ने बच्चों की जान लेने वाले ‘किलर’ कफ सिरप कोल्ड्रिफ पर बड़ा प्रहार किया है। दवाओं के नियंत्रण विभाग ने 10 अक्टूबर 2025 को सार्वजनिक हित में नोटिस जारी कर इस सिरप की बिक्री, खरीद, वितरण और उपयोग पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। कारण? सिरप में घातक पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मिलावट, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
मध्य प्रदेश के ड्रग टेस्टिंग लैबोरेटरी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रभावित बैच एसआर-13 में 42.28% डीईजी पाया गया, जो सिरप को अयोग्य घोषित करती है। यह बैच मई 2025 में तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के सुंगुवाचत्रम स्थित सीसन फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित किया गया था, जिसकी एक्सपायरी अप्रैल 2027 है। सिरप में पैरासिटामॉल, फिनाइलेफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड और क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट जैसे तत्व हैं, लेकिन मिलावट ने इसे जहर बना दिया।
यह कांड देशव्यापी सनसनी बन चुका है। मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप पीने से 17 से 20 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि चार अन्य इलाजाधीन हैं। घटना की शुरुआत छिंदवाड़ा जिले से हुई, जहां रहस्यमयी बीमारी ने दर्जनों बच्चों को लील लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि डीईजी एक औद्योगिक रसायन है, जो किडनी फेलियर और मौत का कारण बनता है, खासकर बच्चों में। यह 2022 के गामांदिया कांड की याद दिलाता है। इसी तरह की मिलावट से अफ्रीका में भारतीय सिरप से सैकड़ों बच्चों की जान गई थी।
दिल्ली के अलावा केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों ने भी बैन लगा दिया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने 7 अक्टूबर को सभी राज्यों को पत्र लिखकर ड्रग्स रूल्स 1945 का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया। पत्र में कहा गया, “फार्मास्यूटिकल निर्माण में नए सामग्रियों, विशेषकर एक्सीपिएंट्स का परीक्षण अनिवार्य है।”
दिल्ली के नोटिस में स्पष्ट चेतावनी दी गई कि “सभी हितधारकों को तत्काल प्रभाव से कोल्ड्रिफ सिरप से दूर रहने का निर्देश है। जनता को भी इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।” विभाग ने दवा विक्रेताओं को सतर्क किया और व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का आह्वान किया। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में हत्या का केस दर्ज हो चुका है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (पीआईएल) दायर हो गई है, जिसमें सीबीआई जांच की मांग की गई है।
निर्माता कंपनी के मालिक को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है, जो दवा उद्योग की लापरवाही उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से कड़े नियामक सुधार होंगे, जैसे कच्चे माल की जांच और आयातित रसायनों पर निगरानी। लेकिन सवाल वही है। क्या ये मौतें टाली जा सकती थीं? सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य है, पर भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो, यही असली चुनौती है।
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