लखनऊ, 25अक्टूबर 2025। CM Yogi Decision: उत्तर प्रदेश में नकली और घटिया दवाओं का बाजार लंबे समय से एक गंभीर समस्या बना हुआ है। इन नकली दवाओं ने न केवल लोगों की जान जोखिम में डाल दी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस खतरे से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।
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प्रदेश के सभी जिलों में नकली दवाओं की सघन जांच अभियान चलाने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही, हर जिले में जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी का नया पद सृजित किया जाएगा, जो दवा निरीक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाएगा। यह निर्णय एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने औषधि विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नकली दवाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जाएगी।
वर्तमान में विभाग में मात्र 109 औषधि निरीक्षक हैं, जो 75 जिलों की निगरानी के लिए अपर्याप्त हैं। कई जिलों में तो निरीक्षक ही नहीं हैं, जिससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी। अब हर जिले में एक जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी तैनात होगा, जो स्थानीय स्तर पर दवा कारखानों, वितरकों और दुकानों की नियमित जांच सुनिश्चित करेगा। इन अधिकारियों की भर्ती अब लिखित परीक्षा के माध्यम से होगी, ताकि योग्यता पर जोर दिया जा सके। नकली दवाओं का मुद्दा उत्तर प्रदेश में पुराना है।
हाल के वर्षों में कई मामलों में सामने आया कि सस्ती नकली दवाएं बाजार में घुसपैठ कर रही हैं, जिनमें साल्ट की जगह साधारण पाउडर भरा जाता है। ये दवाएं कैंसर, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होती हैं, जिससे मरीजों की जान पर बन आती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विकासशील देशों में 10 प्रतिशत से अधिक दवाएं नकली होती हैं, और भारत में यह समस्या और गंभीर है।
योगी सरकार का यह कदम न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि दवा उद्योग को भी पारदर्शी बनाएगा। सरकार ने जांच के लिए विशेष टीमों का गठन करने का भी आदेश दिया है। ये टीमें दवा लैबोरेटरियों में सैंपलिंग करेंगी और गुणवत्ता परीक्षण कराएंगी। यदि कोई दवा नकली पाई जाती है, तो संबंधित कारोबारियों पर कठोर कार्रवाई होगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करना और कानूनी सजा शामिल है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि ‘जन स्वास्थ्य सर्वोपरि है’। यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दवा बाजार में विश्वास बढ़ेगा और काला बाजार कम होगा। इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सबसे अधिक लाभान्वित होंगे, जहां नकली दवाओं का प्रकोप ज्यादा है। सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक प्रदेश को नकली दवाओं से मुक्त बनाया जाए। कुल मिलाकर, यह निर्णय योगी सरकार की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाएगा।
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