कुल्लू, हिमाचल प्रदेश 19 अगस्त 2025। Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में मौसम का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। 19 अगस्त 2025 को लग वैली में बादल फटने की घटना ने एक बार फिर तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण कई दुकानें, फसलें और जमीन को भारी नुकसान हुआ, साथ ही एक महत्वपूर्ण पुल भी बह गया। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अनुसार, इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन क्षेत्र में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है।
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शुक्रवार शाम को शारद नाला क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद बारोगी नाला का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। इस आपदा ने स्थानीय लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं, क्योंकि कई सड़कें और रास्ते अवरुद्ध हो गए। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भी भूस्खलन और बाढ़ के कारण बंद हो गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। स्थानीय प्रशासन और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए।
कुल्लू में इस साल मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है। जून 2025 से अब तक बार-बार बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग बेघर हुए। लग वैली में हुई इस ताजा घटना ने स्थानीय व्यापारियों को गहरी चोट पहुंचाई है, क्योंकि उनकी दुकानें और आजीविका पूरी तरह तबाह हो गई। इसके अलावा, खेतों में तैयार फसलों को भी भारी नुकसान हुआ, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य में इस मॉनसून सीजन में 208 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,988 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। भारी बारिश के कारण 389 सड़कें, जिनमें दो राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, बंद हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिसके कारण प्रशासन हाई अलर्ट पर है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार राहत कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। स्थानीय लोग और पर्यटक इस आपदा से डरे हुए हैं, क्योंकि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं हिमाचल के पर्यटन उद्योग को भी प्रभावित कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, और इसके लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है।
राहत कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें दिन-रात जुटी हैं। ड्रोन और अन्य तकनीकों का उपयोग गायब लोगों को खोजने के लिए किया जा रहा है। प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों के पास न जाने की अपील की है।
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