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Census-2026: यूपी में जनगणना-2026 की तैयारियां जोरों पर, अक्टूबर-नवंबर में होगा ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में पूर्ण रिहर्सल

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लखनऊ, 28 अगस्त 2025। Census-2026:  उत्तर प्रदेश में जनगणना-2026 की तैयारियां तेजी से शुरू हो चुकी हैं। देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य में इस बार की जनगणना को समयबद्ध और त्रुटिरहित करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। केंद्र सरकार ने जनगणना की प्रक्रिया को 2025 की शुरुआत में शुरू करने की योजना बनाई है, जिसके परिणाम 2026 में जारी होंगे।

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इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया से पहले, उत्तर प्रदेश में अक्टूबर और नवंबर 2025 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पूर्ण रिहर्सल आयोजित किया जाएगा। यह रिहर्सल जनगणना कर्मचारियों की तैयारियों को परखने, प्रशासकीय इकाइयों की व्यवस्था को सुनिश्चित करने और तकनीकी संसाधनों की जांच के लिए होगा।

जनगणना भारत में प्रत्येक दस साल में आयोजित की जाती है, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण यह प्रक्रिया टल गई थी। अब 2025 में शुरू होने वाली जनगणना न केवल जनसंख्या के आंकड़े जुटाएगी, बल्कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करेगी। उत्तर प्रदेश, जहां करीब 25 करोड़ की आबादी का अनुमान है, इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएगा। जनगणना के आंकड़े नीति निर्माण, संसाधन वितरण, और लोकसभा व विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाला रिहर्सल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग चरणों में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) घर-घर जाकर सर्वे करेंगे, जबकि शहरी क्षेत्रों में नगरीय स्थानीय निकायों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। इस दौरान प्रशासकीय इकाइयों जैसे जिलों, तहसीलों, और गांवों की सीमाओं की जांच होगी, क्योंकि जनगणना रजिस्ट्रार ने राज्यों को 31 दिसंबर 2024 तक सीमाओं में बदलाव की अनुमति दी है।

उत्तर प्रदेश में 762 नगरीय स्थानीय निकाय हैं, जिनमें 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद, और 545 नगर पंचायत शामिल हैं। इन क्षेत्रों में 22% से अधिक आबादी निवास करती है, जिसके लिए स्वच्छ पेयजल, सड़क, और सफाई जैसी सुविधाओं की व्यवस्था जरूरी है। जनगणना के आंकड़े इन सुविधाओं के बेहतर वितरण में मदद करेंगे।

विपक्षी दल जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, ताकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी का सटीक आंकड़ा मिल सके। हालांकि, सरकार ने अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। जनगणना में 31 सवालों की सूची तैयार की गई है, जिसमें परिवार के मुखिया की जाति और अन्य जनसांख्यिकीय विवरण शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक-आर्थिक आंकड़े देगी, बल्कि भविष्य के परिसीमन और नीतिगत सुधारों को भी प्रभावित करेगी।

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