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Brij Bhushan Sharan Singh: बृजभूषण शरण सिंह बने अखिलेश यादव की ढाल, BJP के नैरेटिव को दे रहे चुनौती

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Brij Bhushan Sharan Singh

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 लखनऊ, 19 अगस्त 2025। Brij Bhushan Sharan Singh: उत्तर प्रदेश की सियासत में पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह इन दिनों समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए अप्रत्याशित रूप से ढाल बनकर उभरे हैं। बृजभूषण, जो कभी बीजेपी के दिग्गज नेता और कैसरगंज से सांसद रहे, अब अपने बयानों से बीजेपी के नैरेटिव को कमजोर कर रहे हैं।

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हाल ही में उन्होंने अखिलेश की तारीफ करते हुए उन्हें धार्मिक और सच्चा हिंदू बताया, जिसने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। यह बयान तब आया जब अखिलेश ने कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसे बीजेपी ने सनातन विरोधी करार दिया था। बृजभूषण ने इसे अखिलेश की ‘राजनीतिक मजबूरी’ बताकर उनका बचाव किया, जिससे बीजेपी की आलोचना की धार कुंद हो गई।

इसके अलावा, बृजभूषण ने सपा की विधायक पूजा पाल के निष्कासन के फैसले का भी समर्थन किया, जब पूजा ने सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी। इस बयान ने न केवल सपा के पक्ष को मजबूत किया, बल्कि बीजेपी के उस नैरेटिव को भी कमजोर किया, जिसमें सपा को जातिवादी और सवर्ण विरोधी बताया जाता है। बृजभूषण ने पत्रकारों से कहा, “जब सपा की लिस्ट आए और उसमें एक भी सवर्ण न हो, तब मुझसे बात करना,” जिससे अखिलेश के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को समावेशी रंग मिला।

बृजभूषण का यह रुख बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है, क्योंकि वह राजपूत समुदाय में मजबूत प्रभाव रखते हैं और गोंडा, बहराइच, कैसरगंज जैसे क्षेत्रों में उनकी राजनीतिक पकड़ है। उनकी अखिलेश के प्रति नरम रुख और बीजेपी की नीतियों पर तीखी टिप्पणियां, जैसे योगी सरकार द्वारा उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में ठेके रद्द करना, पार्टी के लिए चुनौती बन रही हैं। कुछ लोग इसे उनकी सपा में वापसी की अटकलों से जोड़ रहे हैं, खासकर तब जब 2008 में वह सपा में शामिल हो चुके थे। हालांकि, बृजभूषण ने स्पष्ट किया कि वह बीजेपी में ही रहेंगे, लेकिन अखिलेश को ‘छोटा भाई’ मानते हैं।

यह स्थिति बीजेपी के लिए दोहरी मार है। एक तरफ, बृजभूषण के बयान सपा को सवर्ण समुदाय में स्वीकार्यता दिलाने में मदद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, बीजेपी का सनातन धर्म और जातिवाद पर आधारित नैरेटिव कमजोर पड़ रहा है। 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बृजभूषण का यह रुख सपा को मजबूती दे सकता है, जबकि बीजेपी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

 

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