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वसई में बीजेपी विधायक प्रवीण दरेकर 20 मिनट तक लिफ्ट में फंसे, बोले – “लिफ्ट से तो मेरी पुरानी दुश्मनी है”

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रविवार को वसई में एक चौंकाने वाली घटना में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक प्रवीण दरेकर एक लिफ्ट में करीब 20 मिनट तक फंसे रह गए। घटना ने मौके पर मौजूद सभी लोगों को हिलाकर रख दिया। हालांकि राहत की बात ये रही कि कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों की सूझबूझ से दरेकर और अन्य लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

क्या हुआ था?

प्रवीण दरेकर वसई पश्चिम के कौल हेरिटेज सिटी स्थित अपुलैंड ग्रैंड बैंक्वेट हॉल में स्व-पुनर्विकास शिविर में शामिल होने पहुंचे थे। कार्यक्रम स्थल की तीसरी मंजिल तक जाने के लिए वे लिफ्ट में सवार हुए, लेकिन लिफ्ट में पहले से ही क्षमता से अधिक लोग मौजूद थे।

बताया जा रहा है कि लिफ्ट की अधिकतम क्षमता 10 लोगों की थी, लेकिन उसमें करीब 15 लोग सवार हो गए। ज्यादा वजन के चलते लिफ्ट तीसरी मंजिल पर न जाकर ग्राउंड फ्लोर पर ही फंस गई और कुछ ही पलों में भीतर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई।

तीन विधायक फंसे एक ही लिफ्ट में

लिफ्ट में प्रवीण दरेकर के साथ वसई की विधायक स्नेहा दुबे और नालासोपारा के विधायक राजन नाइक भी मौजूद थे। सभी लोग तकरीबन 20 मिनट तक अंदर फंसे रहे।

लोहे की रॉड से तोड़ा गया दरवाज़ा

घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग, बीजेपी कार्यकर्ता और गार्ड हरकत में आए। लोहे की रॉड की मदद से लिफ्ट का दरवाज़ा तोड़ा गया और सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया। जब दरेकर लिफ्ट से निकले, तो वह पूरे पसीने से भीगे हुए थे। बाहर निकलते ही उन्होंने पहले पानी पिया और फिर तीन मंजिल सीढ़ियों से चढ़कर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे।

“लिफ्ट से मेरी पुरानी दुश्मनी है” – प्रवीण दरेकर

बाहर आते ही दरेकर ने हंसते हुए कहा, “लिफ्ट से मेरी पुरानी दुश्मनी है।” उन्होंने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब वे इस तरह फंसे हों — इससे पहले भी उनके साथ ऐसा हादसा हो चुका है।

सवालों के घेरे में सुरक्षा और रखरखाव

इस घटना के बाद कार्यक्रम स्थल पर हड़कंप मच गया। लिफ्ट की सुरक्षा व्यवस्था और रखरखाव को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लग रहा है कि आखिर इतनी भीड़ को लिफ्ट में कैसे जाने दिया गया।

फिलहाल सभी सुरक्षित, लेकिन चेतावनी भी जरूरी

हालांकि, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन अगर समय पर मदद न मिलती तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाना कितना जरूरी है।

निष्कर्ष:

विधायक प्रवीण दरेकर और अन्य लोगों की जान बाल-बाल बची, लेकिन यह घटना एक चेतावनी की घंटी है। लिफ्ट जैसी सामान्य चीज़ अगर क्षमता से ज़्यादा इस्तेमाल की जाए, तो वह भी जानलेवा बन सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब इस तरह की लापरवाही दोहराई नहीं जाएगी।

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