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Bihar Voter List: बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख वोटरों के नाम, सियासी गलियारे में हलचल

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Bihar Voter List

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बिहार, 18 अगस्त 2025। Bihar Voter List: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इस कदम ने राजनीतिक दलों और नागरिकों में हलचल मचा दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, ECI ने 17 अगस्त 2025 को इन हटाए गए मतदाताओं की सूची को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।

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सूची में हटाए गए मतदाताओं के नाम, EPIC नंबर, आयु, लिंग, और हटाने का कारण जैसे मृत्यु (22.34 लाख), स्थायी स्थानांतरण (36.28 लाख), या दोहरी प्रविष्टि (7.01 लाख) शामिल हैं।सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को ECI को निर्देश दिया था कि वह 19 अगस्त तक जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर यह सूची प्रकाशित करे और हटाने के कारणों को स्पष्ट करे। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस सूची को पंचायत भवनों और ब्लॉक विकास कार्यालयों में नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम लोग इसे देख सकें।

इसके अलावा, सूची को क्षेत्रीय और अंग्रेजी समाचार पत्रों, दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो, और ECI के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया गया।ECI ने दावा किया कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को साफ करने के लिए थी, जिसमें डुप्लिकेट प्रविष्टियां, मृत मतदाता, और गैर-स्थायी निवासियों को हटाया गया। हालांकि, विपक्षी दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस ने इसे मतदाताओं को वंचित करने का प्रयास बताया। RJD नेता तेजस्वी यादव ने ECI पर सवाल उठाते हुए पूछा कि इन हटाए गए मतदाताओं को मृत या स्थानांतरित घोषित करने का आधार क्या था।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, वे 1 सितंबर तक फॉर्म 6 के साथ आधार कार्ड सहित 11 स्वीकार्य दस्तावेजों में से किसी एक का उपयोग कर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। ECI ने कहा कि ड्राफ्ट सूची से नाम हटाना अंतिम नहीं है, और दावा-आपत्ति की अवधि (1 अगस्त से 1 सितंबर) अप्रभावित रहेगी।यह कदम बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 65 लाख मतदाता, जो राज्य के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं का 8.31% हैं, मतदान से वंचित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पारदर्शिता मतदाताओं का विश्वास बढ़ाएगी और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी।

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