पटना, 10 नवंबर 2025। Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभेरी बज चुकी है और राजनीतिक हलचल चरम पर है, लेकिन एनडीए से मुख्यमंत्री चेहरा माने जाने वाले नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना रोड शो और रैलियों से अनुपस्थित रहना सवालों का केंद्र बन गया है। विपक्ष इसे गठबंधन में दरार का संकेत बता रहा है, तो बीजेपी ने साफ कर दिया कि यह सामान्य है और सब कुछ ठीक चल रहा है। 2 नवंबर को पटना में पीएम मोदी के भव्य रोड शो में नीतीश की गैरमौजूदगी ने खलबली मचा दी, जहां मोदी ने 225 सीटों का नारा दिया और एनडीए की जीत का दावा किया।
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बीजेपी के बिहार प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा, “नीतीश जी का न आना कोई नई बात नहीं। वे अपनी रैलियों में व्यस्त हैं और गठबंधन मजबूत है। विपक्ष की अफवाहें चुनावी हार का डर दिखा रही हैं।”इस बीच, महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव ने तंज कसा, “नीतीश जी की अनुपस्थिति कोई आश्चर्य नहीं। वे तो पहले ही अदृश्य हो चुके हैं। मोदी जी उन्हें इस्तेमाल कर चुके हैं।” तेजस्वी ने अनंत सिंह विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि नीतीश की छवि खराब हो रही है, जिससे वे मोदी के साये में छिपना चाहते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पीएम पर निशाना साधा, “मोदी जी नीतीश को बिहार चुनाव में अदृश्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह एनडीए की कमजोरी का प्रमाण है।” खड़गे ने कहा कि नीतीश की अनदेखी से जेडीयू कार्यकर्ताओं में असंतोष है, जो चुनाव परिणाम प्रभावित कर सकता है। विश्लेषकों के अनुसार, नीतीश की दूरी का पीछे कई वजहें हैं।
पहली, अनंत सिंह केस में उनकी संलिप्तता के आरोपों से छवि धूमिल हुई है, जिससे वे मोदी की चमक में फीके न पड़ें। दूसरी, जेडीयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे पर असहमति बनी हुई है। तीसरी, नीतीश अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अलग रैलियां कर रहे हैं, जहां वे विकास और जाति जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं। बिहार चुनाव का दूसरा चरण कल (11 नवंबर) को है, जिसमें 94 सीटों पर वोटिंग होगी। एनडीए 225 सीटों का लक्ष्य लेकर उतरा है, जबकि महागठबंधन 150+ का दावा कर रहा है।
पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में पकौड़ा बेचने से लेकर राम मंदिर तक के मुद्दे छेड़े, लेकिन नीतीश का नाम लेना भी भूल गए, जो विपक्ष के लिए स्वर्णिम अवसर बन गया। बीजेपी ने खारिज किया तनाव का दावा। प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “नीतीश जी और मोदी जी का रिश्ता भाईचारे का है। उनकी अनुपस्थिति रणनीतिक है, न कि वैचारिक।” लेकिन सड़क पर कार्यकर्ताओं में फुसफुसाहट है कि नीतीश को ‘कुर्सी का सौदा’ करने वाला माना जा रहा है।
जेडीयू ने स्पष्ट किया कि नीतीश 15 नवंबर को भागलपुर रैली में मोदी के साथ नजर आएंगे। चुनाव आयोग के अनुसार, मतगणना 23 नवंबर को होगी। बिहार की 243 सीटों पर सियासी जंग अब चरम पर है, जहां जाति समीकरण, विकास और केंद्र-राज्य संबंध निर्णायक होंगे। विपक्षी दलों ने नीतीश की अनुपस्थिति को सोशल मीडिया पर वायरल कर एनडीए को घेरा है। कुल मिलाकर, यह घटना बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला रही है, जहां गठबंधन की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं। क्या नीतीश मोदी के बिना जीत पा सकेंगे? समय ही बताएगा।
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