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Bihar Elections 2025: दूसरे चरण में छोटे दलों की साख दांव पर, HAM-VIP-RLM-AIMIM की रणनीति से बनेगी नई तस्वीर

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Bihar Elections 2025

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पटना, 10 नवंबर 2025। Bihar Elections 2025: 10 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 94 सीटों पर वोटिंग हुई। इन सीटों पर छोटे क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व की जंग साबित देखने को मिल रही है। बड़े दलों एनडीए और महागठबंधन की रणभेरी के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM), विकासशील इंसान पार्टी (VIP), राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) जैसी पार्टियां अपनी पहचान मजबूत करने के लिए कवायद में जुटी हैं।

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इन दलों का प्रदर्शन न केवल वोट बांट सकता है, बल्कि नतीजों को उलट-पुलट करने की क्षमता रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चरण इन पार्टियों के लिए ‘मेक ऑर ब्रेक’ का दौर है, जहां जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दे निर्णायक साबित होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के लिए यह चरण सोने का मौका है।

Bihar Elections 2025

एनडीए के सहयोगी के रूप में पार्टी इमामगंज, बाराचट्टी, टिकारी, अत्रि, सिकंदरा और कुटुम्बा जैसी छह सीटों पर दांव लगा रही है। इन क्षेत्रों में मुसहर और अन्य महादलित समुदायों पर HAM की मजबूत पकड़ है। इमामगंज से मांझी की बहू दीपा मांझी और बाराचट्टी से उनकी समधन ज्योति मांझी मैदान में हैं, जो पारिवारिक प्रतिष्ठा के साथ पार्टी का जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।

मांझी का फोकस दलित-महादलित वोटों को एकजुट करना है, ताकि एनडीए में उनकी भूमिका और मजबूत हो। अगर HAM यहां 2-3 सीटें जीत लेती है, तो भविष्य की सौदेबाजी में यह पार्टी अहम खिलाड़ी बन सकती है। पार्टी नेता प्रदीप मांझी ने कहा, “यह चरण हमारी राजनीतिक यात्रा का टर्निंग पॉइंट होगा।”विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के संस्थापक मुकेश सहनी के लिए यह दौर राजनीतिक परीक्षा है।

महागठबंधन में VIP की 15 सीटें हैं, लेकिन सहनी ने शुरू में 40-50 की मांग की थी। निषाद समुदाय के मसीहा सहनी का भरोसा EBC (36% आबादी) वोट बैंक पर है। पार्टी को उपमुख्यमंत्री पद का लालच दिया गया है, इसलिए सहनी का प्रदर्शन सीधे गठबंधन की कुर्सी से जुड़ा है। सहनी ने कहा, “हमारा फोकस निषाद भाइयों की आवाज उठाना है। अच्छा प्रदर्शन तो बस शुरुआत होगा।” अगर VIP 4-5 सीटें हासिल कर लेती है, तो महागठबंधन में उसकी सौदेबाजी की ताकत बढ़ जाएगी, वरना सहनी की महत्वाकांक्षा धूमिल हो सकती है।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) की कमान संभाल रहे उपेंद्र कुशवाहा के लिए भी यह चरण चुनौतीपूर्ण है। छह सीटों पर उतरी RLM का असली हथियार वोट विभाजन है। कोइरी-कुशवाहा समुदाय के बड़े नेता कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता सासाराम से लड़ रही हैं। पार्टी का प्रभाव एनडीए में उनकी प्रासंगिकता बनाए रखने पर निर्भर है। कुशवाहा ने कहा, “हमारी ताकत वोट शेयर में है, जो बड़े दलों को चुनौती देगी।” जीत से ज्यादा, 10-15% वोट यहां RLM की साख तय करेंगे।

सीमांचल में AIMIM की मौजूदगी मुस्लिम वोटों को एकजुट करने का प्रयास है। किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जैसी सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी विकास और सशक्तिकरण के एजेंडे पर जोर दे रही है। 2020 में पांच सीटें जीतने वाली AIMIM अब बीजेपी के ध्रुवीकरण को काउंटर करना चाहती है। ओवैसी ने ट्वीट किया, “सीमांचल के भाईयों का भविष्य हमारी प्राथमिकता।” अच्छा प्रदर्शन AIMIM को बिहार की स्थायी ताकत बना सकता है। कुल मिलाकर, यह चरण छोटे दलों के लिए संजीवनी या जहर साबित होगा। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे, जो बिहार की सियासी समीकरण बदल सकते हैं।

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