बरेली, 30 सितंबर 2025। Bareilly Violence: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जो बवाल मचा, वह महज एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था। इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद को लेकर लोगों को भड़काया और नमाज के बाद बड़ी भीड़ जुटाकर अपना रसूख दिखाने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की सख्ती और पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खां के खुलासों ने उनकी पूरी चाल उजागर कर दी।
नदीम ने बताया कि तौकीर रजा के करीबियों ने हफ्तों से इस हिंसा की तैयारी की थी, जिसमें चाकू, तमंचे और पेट्रोल बम जैसी खतरनाक चीजें जुटाई गईं।घटना की शुरुआत कानपुर से हुई ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर को लेकर, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना गया। तौकीर रजा, जो पहले कांग्रेस और सपा के साथ जुड़े रहे हैं, ने इसे मौका बनाया। उन्होंने इस्लामिया इंटर कॉलेज में जुमे के बाद ग्यारह देने का ऐलान किया, लेकिन प्रशासन ने साफ मना कर दिया। अनुमति न मिलने पर भी तौकीर ने सोशल मीडिया और मीटिंग्स के जरिए लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया। नमाज खत्म होते ही हजारों की भीड़ सड़कों पर उमड़ पड़ी।
नारेबाजी से शुरू हुआ मामला पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी तक पहुंच गया। प्रदर्शनकारियों ने दुकानों पर हमला किया, वाहनों को आग लगाई और पुलिस पर चाकू-ब्लेड से हमला करने की कोशिश की।पुलिस ने तुरंत लाठीचार्ज किया और स्थिति को काबू में किया। एसएसपी अनुराग आर्या ने बताया कि सात दिनों से साजिश रची जा रही थी। 200 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज की जांच में पुष्टि हुई कि तौकीर के बुलावे पर ही भीड़ आई थी। पुलिस ने मौके से चाकू, तमंचे, ब्लेड और पेट्रोल की बोतलें बरामद कीं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश दिए कि उपद्रवियों की ‘डेंटिंग-पेंटिंग’ हो। नतीजा? तौकीर रजा समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
तौकीर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में डाल दिया गया, जबकि 40 से ज्यादा लोग हिरासत में हैं। चार थानों में 10 एफआईआर दर्ज हुईं, जिनमें सैकड़ों अज्ञात नामजद हैं।इस बवाल के बाद बरेली में दो दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं, ताकि अफवाहें न फैलें। तौकीर के करीबी डॉ. नफीस की नावल्टी चौराहे वाली मार्केट सील कर दी गई, जिसमें 48 दुकानें और आईएमसी का दफ्तर था। डॉ. नफीस पर पुलिस को धमकी देने का आरोप है। लेकिन सबसे बड़ा खुलासा पूर्व जिला अध्यक्ष नदीम खां ने किया। नदीम, जो आईएमसी के ही पूर्व पदाधिकारी हैं, ने बताया कि तौकीर रजा का मकसद सिर्फ रसूख दिखाना नहीं, बल्कि राजनीतिक फायदा कमाना था।
उन्होंने कहा, “तीन दिन पहले मैंने प्रशासन को सारी जानकारी दी थी, लेकिन तौकीर ने अनदेखी की। यह 2010 के दंगा जैसे ही प्लान था।” नदीम के बयान से साफ है कि तौकीर की टीम ने जानबूझकर हिंसा भड़काई, ताकि मुस्लिम वोट बैंक मजबूत हो।यह घटना बरेली के लिए सबक है। धार्मिक स्वतंत्रता संविधान देती है, लेकिन कानून का पालन जरूरी। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से शहर शांत है, लेकिन सवाल उठता है कि ऐसे नेताओं को बार-बार मौका क्यों मिलता है? तौकीर पर पहले भी दंगा भड़काने के केस हैं। अब जांच पूरी होने पर और सख्त कदम उठने की उम्मीद है। बरेली फिर से अमन का पैगाम दे, यही सबकी कामना है।
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