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Bareilly Violence: सपा नेताओं को पुलिस ने किया हाउस अरेस्ट, अखिलेश का डेलीगेशन रोका गया

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Bareilly Violence

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लखनऊ/बरेली, 4 अक्टूबर 2025। Bareilly Violence:  उत्तर प्रदेश में बरेली हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) की राजनीतिक सक्रियता पर ब्रेक लग गया है। पार्टी के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को शनिवार को बरेली दौरा करने से रोक दिया गया। सपा नेताओं पर सख्ती के तहत यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय को लखनऊ में हाउस अरेस्ट कर लिया गया, जबकि संभल से सांसद जियाउर्रहमान बर्क को उनके घर पर नजरबंद कर दिया। दिल्ली से आ रहे तीन सपा सांसद इकरा हसन, मोहिबुल्लाह नदवी और हरेंद्र मलिक को मेरठ टोल प्लाजा पर पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक लिया। माता प्रसाद पांडेय के लखनऊ स्थित आवास के बाहर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

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बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर बरेली हिंसा की सच्चाई जानने के लिए यह डेलीगेशन गठित किया गया था, लेकिन सुबह-सुबह ही दरोगा ने साफ कह दिया कि घर से बाहर न निकलें। बरेली के डीएम का हवाला देते हुए पुलिस का तर्क है कि सपा नेताओं के आने से माहौल बिगड़ सकता है। पांडेय ने इसे खारिज करते हुए कहा, “हमारे जाने से माहौल खराब नहीं होता। ये लोग अपनी कमियों को छिपाने के लिए हमें रोक रहे हैं। वहां अवैध गिरफ्तारियां और ज्यादतियां हो रही हैं, जिनकी जानकारी हमें मिल जाती तो सच्चाई सामने आ जाती।

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नेता प्रतिपक्ष ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनके मुताबिक, कानून-व्यवस्था खुद प्रशासन ने बिगाड़ी है। अगर दो समुदायों में झड़प होती तो बात समझ आती, लेकिन पुलिस ने ही माहौल खराब किया। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार, घटना के बाद बड़े पैमाने पर अन्याय हो रहा है। लोगों को पीट-पीटकर जेलों में ठूंस दिया जा रहा है। एक मुकदमे में एक नाम पर केस दर्ज होता है, लेकिन चार लोगों की गिरफ्तारी हो जाती है। कुछ घरों को तो तोड़ने की धमकी दी जा रही है। एक समुदाय खौफ में जी रहा है और पुलिस-प्रशासन से डरा हुआ है, जबकि दूसरे समुदाय से कोई विवाद नहीं है।

सपा विधायक अताउर्रहमान ने भी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि पांडेय के निर्देश पर पीड़ितों से मिलने जा रहे थे, लेकिन थानों की फोर्स लगा दी गई। हम तैयार बैठे हैं, लेकिन रोक दिया गया। बरेली हिंसा 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद ‘आई लव मोहम्मद’ नारों को लेकर भड़की थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। अब तक 82 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। मौलाना तौकीर रजा और उनके करीबियों का नाम भी सामने आया है। पुलिस लगातार कार्रवाई जारी रखे हुए है।

यह घटना सपा और योगी सरकार के बीच तनाव को और गहरा रही है। विपक्ष का दावा है कि हिंसा का असली चेहरा छिपाया जा रहा है, जबकि सरकार इसे कानून-व्यवस्था बहाली का प्रयास बता रही है। सपा नेताओं की नजरबंदी से राजनीतिक बहस तेज हो गई है। क्या यह लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है? आने वाले दिनों में यह मुद्दा विधानसभा में भी गूंज सकता है। फिलहाल, सपा कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पहुंचना मुश्किल हो गया है।

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