मथुरा, 20 अगस्त 2025। Banke Bihari Temple:मथुरा के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न्यास (ट्रस्ट) बनाने के फैसले पर कथावाचक और पद्म विभूषण से सम्मानित रामभद्राचार्य ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने सरकार के इस कदम को धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप करार देते हुए सवाल उठाया कि जब सरकार मस्जिदों और चर्चों के प्रबंधन में दखल नहीं देती, तो मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
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रामभद्राचार्य, जो इन दिनों वृंदावन में श्रीमद्भागवत कथा का पाठ कर रहे हैं, ने कहा, “मेरी समझ में नहीं आता कि जब सरकार किसी मस्जिद या चर्च पर नियंत्रण नहीं कर सकती, तो मंदिरों का कोष और प्रबंधन अपने हाथ में क्यों लेना चाहती है?” उन्होंने मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह कदम स्वामी हरिदास की परंपराओं और भक्तों की आस्था पर चोट पहुंचा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बांके बिहारी मंदिर न्यास विधेयक 2025 के तहत 18 सदस्यीय ट्रस्ट बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे।
सरकार का दावा है कि यह न्यास श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं, जैसे प्रसाद वितरण, पेयजल और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष व्यवस्था, सुनिश्चित करेगा। साथ ही, मंदिर के चढ़ावे और संपत्ति का प्रबंधन भी ट्रस्ट के अधीन होगा। हालांकि, इस अध्यादेश का गोस्वामी समाज और स्थानीय लोग कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंदिर निजी संपत्ति है और सरकार का यह कदम धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए एक अंतरिम समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे। कोर्ट ने अध्यादेश के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है, जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट इसकी वैधता पर फैसला नहीं दे देता। रामभद्राचार्य ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है और चेतावनी दी कि यह कदम भक्तों की भावनाओं को आहत कर सकता है। इस विवाद ने मथुरा और वृंदावन में तनाव बढ़ा दिया है, जहां गोस्वामी समाज और स्थानीय लोग लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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