मथुरा, 4 अगस्त 2025। Banke Bihari Temple Controversy: वृंदावन के ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और 500 करोड़ रुपये के पुनर्विकास प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की गई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने भगवान श्रीकृष्ण को “पहला मध्यस्थ” बताते हुए सभी पक्षों से आपसी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की सलाह दी।
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कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर सवाल उठाए, जिसके तहत मंदिर के फंड से कॉरिडोर निर्माण की योजना है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि मंदिर ट्रस्ट के धन का उपयोग करने की अनुमति बिना पारदर्शी प्रक्रिया के कैसे दी गई। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि अगर सरकार को मंदिर परिसर में विकास करना था, तो उसने वैध तरीके से भूमि अधिग्रहण क्यों नहीं किया। पीठ ने 15 मई के अपने पिछले आदेश पर पुनर्विचार का संकेत देते हुए कहा कि उसका एक हिस्सा स्थगित किया जा सकता है।
मंदिर के पुश्तैनी सेवायतों ने दावा किया कि सरकार ने बिना उनकी सहमति के अध्यादेश लागू किया, जिससे उनकी पीढ़ियों से चली आ रही सेवा परंपरा प्रभावित हुई। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकार ने “गुप्त तरीके” से आदेश हासिल किया। कोर्ट ने एक अंतरिम प्रबंधन समिति बनाने का सुझाव दिया, जो मंदिर की व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखे। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज को मंगलवार सुबह तक सरकार का रुख स्पष्ट करने को कहा गया।
कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले की संवैधानिक वैधता की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी चाहिए थी। मंदिर प्रशासन ने दलील दी कि बांके बिहारी मंदिर एक निजी संस्था है, और सरकार का हस्तक्षेप धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है। यह मामला अब मध्यस्थता और पारदर्शिता के सवालों के साथ और गहरा गया है।
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