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Bangladesh: पूर्व पीएम शेख हसीना को फांसी की सजा, मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया

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sheikh hasina

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नई दिल्ली, 17 नवंबर 2025। Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को गंभीर अपराधों के लिए फांसी की सजा सुनाई है। यह फैसला 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। अदालत ने शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी पाया और कहा कि वे अधिकतम सजा की हकदार हैं।

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सुनवाई 23 अक्टूबर को समाप्त हुई थी, उसके बाद जजों ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह 400 पेजों का विस्तृत फैसला छह भागों में विभाजित है, जो हसीना सरकार की कथित साजिश और हत्याओं को उजागर करता है। शेख हसीना पर पांच गंभीर आरोप लगे थे, जिनमें हत्या, साजिश रचना और प्रदर्शनकारियों पर दमन शामिल हैं।

अदालत के अनुसार, 5 अगस्त 2024 को चांखारपुल में छह प्रदर्शनकारियों की हत्या उनके सीधे आदेश पर हुई। तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामून ने हसीना के निर्देशों पर कार्रवाई की, जिसमें हेलीकॉप्टरों से गोलीबारी और बल प्रयोग किया गया। इस हिंसा में कई छात्रों समेत निर्दोष लोगों की जान चली गई। अदालत को मिले साक्ष्यों में रिपोर्ट्स, गवाहियां और दस्तावेज शामिल हैं, जो साबित करते हैं कि हसीना ने जानबूझकर दमनकारी नीति अपनाई।

फैसला जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने सुनाया। को-आरोपी पूर्व गृह मंत्री कमाल और पूर्व आईजी अल-मामून को भी दोषी ठहराया गया है। सुनवाई से पहले फैसले को रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, जिससे घोषणा में थोड़ी देरी हुई। अदालत ने स्पष्ट कहा कि हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर हमले का आदेश दिया, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन था। यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल ला सकता है, क्योंकि हसीना की अवामी लीग पार्टी अभी भी मजबूत आधार रखती है।

फांसी की सजा की मांग पर शेख हसीना ने कड़ा रुख अपनाया। भारत में निर्वासित हसीना ने कहा, “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह जिंदगी अल्लाह ने दी है, वही लेंगे। अवामी लीग जनता से उपजी है, इसे दबाना आसान नहीं। मुझे बांग्लादेश की जनता पर पूर्ण विश्वास है। वे इस भ्रष्ट, उग्रवादी और हत्यारे यूनुस समेत उसके साथियों को उखाड़ फेंकेंगे। न्याय जरूर होगा।” उन्होंने समर्थकों को संदेश दिया, “मैं जिंदा हूं, जिंदा रहूंगी और लोगों की भलाई के लिए संघर्ष जारी रखूंगी। जो मुझे मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी ठहराते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि मैंने 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश में शरण दी थी।”

यह फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ सकता है। मानवाधिकार संगठन इसे न्याय का प्रतीक बता रहे हैं, जबकि हसीना समर्थक इसे राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं। बांग्लादेश सरकार ने फैसले का स्वागत किया है, लेकिन अपील की संभावना बाकी है। कुल मिलाकर, यह घटना दक्षिण एशिया की राजनीति को नई दिशा देगी।

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