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जेल से बाहर आए आजम खान, बसपा में जाने की अटकलों पर दिया ये जवाब, समर्थक बोले-धन्यवाद

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Azam Khan

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सीतापुर, 23 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आ गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान 23 महीने की लंबी जेल यात्रा के बाद आज (23 सितंबर 2025) सीतापुर जेल से रिहा हो गए। विभिन्न आपराधिक मामलों में फंसे आजम खान पर दर्ज लगभग 55 मुकदमों में जमानत मिल चुकी है, जिसके बाद उनकी रिहाई संभव हो सकी।

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जेल के बाहर उनके समर्थकों का भारी हुजूम उमड़ पड़ा, लेकिन आजम ने मीडिया के सवालों पर सधा हुआ रुख अपनाते हुए बसपा में जाने की अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “ये अटकलें लगाने वाले ही बता सकते हैं। जेल में मैं किसी से नहीं मिला, फोन करने तक की इजाजत नहीं थी।” साथ ही, उन्होंने अपने सभी समर्थकों को धन्यवाद देते हुए कहा, “सबका बहुत शुक्रिया। बहुत सी दुआएं उनके लिए।”सीतापुर जेल के बाहर का नजारा किसी उत्सव जैसा था। सपा कार्यकर्ताओं के अलावा मुरादाबाद से सांसद रुचि वीरा भी मौजूद रहीं।

पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिसमें सड़कों पर भारी फोर्स तैनात की गई। आजम खान काला चश्मा लगाए पुराने अंदाज में नजर आए। रिहाई के तुरंत बाद वे बिना रुके रामपुर स्थित अपने आवास के लिए रवाना हो गए। उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम भी जेल पहुंचे थे, जो इस खुशी के पल का हिस्सा बने।आजम खान की रिहाई ने उत्तर प्रदेश की सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का खुला न्योता दिया था, जिससे अटकलें तेज हो गईं। लेकिन सपा नेतृत्व ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहली प्रतिक्रिया में कहा, “आजम खान समाजवादी पार्टी के साथ हैं। वे मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं। भाजपा के झूठे मुकदमों का मुकाबला हम साथ मिलकर करेंगे।” अखिलेश ने न्यायालय का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि आने वाले समय में सभी झूठे केस वापस होंगे। वहीं, सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आजम खान का किसी अन्य पार्टी में जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। ये झूठी खबरें हैं।

“उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “सपा में रहें या बसपा में जाएं, 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों की हार तय है।” आजम खान की पत्नी तंजीन फातमा ने भी पहले बयान में कहा था कि वे सपा के साथ ही रहेंगे। आजम खान मुस्लिम समुदाय के प्रमुख नेता माने जाते हैं, और उनकी रिहाई से सपा का मुस्लिम वोट बैंक मजबूत होने की उम्मीद है। आजम खान का राजनीतिक सफर हमेशा विवादास्पद रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वे स्वार से सपा के टिकट पर जीते, लेकिन उसके बाद रामपुर में भूमि हड़पने, गुंडागर्दी जैसे कई मामलों में फंस गए।

2023 में हिरासत में लेने के बाद वे लगातार जेल में रहे। वकील जुबेर अहमद खान ने बताया कि 95 मामलों में से अधिकांश में राहत मिल चुकी है। अब सवाल यह है कि क्या आजम खान रामपुर में अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन मजबूत करेंगे? या सपा के भीतर कोई नया समीकरण बनेगा?रिहाई के बाद आजम खान ने समर्थकों से कहा, “धन्यवाद। आपकी दुआओं से ही ये दिन आया।”

यह बयान उनके समर्थकों के बीच उत्साह भरने वाला साबित हुआ। सपा कार्यकर्ता मानते हैं कि आजम की वापसी से पार्टी को नई ताकत मिलेगी, खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में। हालांकि, भाजपा ने इसे सियासी स्टंट बताते हुए हमला बोला है। कुल मिलाकर, आजम खान की रिहाई यूपी की राजनीति में नया अध्याय जोड़ सकती है।

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