लखनऊ, 13 सितंबर 2025। Ayodhya-Varanasi Expressway: उत्तर प्रदेश में धार्मिक और पर्यटन विकास को नई गति देने के लिए अयोध्या से वाराणसी तक हाईस्पीड एक्सप्रेसवे के निर्माण की योजना को मंजूरी मिल गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से 250 किलोमीटर की दूरी मात्र 2 घंटे में तय होगी, जिससे दो पवित्र शहरों के बीच यात्रा समय और लागत में भारी कमी आएगी।
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यह एक्सप्रेसवे न केवल अयोध्या और वाराणसी को जोड़ेगा, बल्कि दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों तक कनेक्टिविटी को भी आसान बनाएगा। योगी आदित्यनाथ सरकार की यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। परियोजना का खाका तैयार हो चुका है, और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। इस एक्सप्रेसवे की कुल लागत करीब 20,000 करोड़ रुपये अनुमानित है। यह छह लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा, जो अयोध्या, सुल्तानपुर, जौनपुर और वाराणसी जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ेगा।
इसके अलावा, यह गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे से भी जुड़ेगा, जिससे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के जरिए राष्ट्रीय राजधानी तक सीधी पहुंच होगी। इससे अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे तीर्थस्थलों की यात्रा सुगम हो जाएगी। परियोजना से पर्यटन, व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। हाईस्पीड एक्सप्रेसवे को अत्याधुनिक तकनीक से बनाया जाएगा। इसकी डिजाइन गति 120 किमी/घंटा होगी, और यह रास्ते में न्यूनतम बाधाओं के साथ बनाया जाएगा।
सड़क पर स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, टोल प्लाजा, रेस्ट एरिया, और फ्यूल स्टेशन जैसी सुविधाएं होंगी। इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन कॉरिडोर और वृक्षारोपण पर जोर दिया जाएगा। एक्सप्रेसवे के रास्ते में पड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कनेक्टर रोड बनाए जाएंगे, ताकि स्थानीय लोग भी लाभान्वित हों। यह परियोजना 2027 तक पूरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद अयोध्या-वाराणसी की यात्रा समय आधा हो जाएगा।
अयोध्या और वाराणसी, भारत के दो प्रमुख धार्मिक केंद्र, हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, और वाराणसी पहले से ही एक वैश्विक पर्यटन स्थल है। इस एक्सप्रेसवे से दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ने से पर्यटन उद्योग को नया बल मिलेगा।
होटल, रेस्तरां, और परिवहन क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही, स्थानीय हस्तशिल्प और कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में आसानी होगी। दिल्ली से कनेक्टिविटी बढ़ने से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। हालांकि, इस परियोजना के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी जैसे मुद्दों को समय रहते हल करना होगा। स्थानीय किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए सरकार ने मुआवजा नीति को पारदर्शी बनाने का वादा किया है।
इसके बावजूद, योगी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड, जैसे गंगा एक्सप्रेसवे और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का सफल निर्माण, इस परियोजना के प्रति भरोसा जगाता है। यह एक्सप्रेसवे न केवल यूपी की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा, बल्कि पूर्वी भारत को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा। भविष्य में, इसे अन्य राज्यों तक विस्तार देने की योजना भी बन सकती है। कुल मिलाकर, यह परियोजना उत्तर प्रदेश को विकास के नए पथ पर ले जाएगी।
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