अयोध्या, 10 सितंबर 2025। Ayodhya: भगवान राम की जन्मभूमि, एक बार फिर धार्मिक उत्साह के केंद्र में आ रही है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित भव्य ध्वजारोहण उत्सव 25 नवंबर 2025 को मंदिर के शिखर पर होने वाला है। यह आयोजन विवाह पंचमी के पावन अवसर पर संयोगित हो रहा है, जब अयोध्या में भगवान राम और माता सीता के विवाह का उत्सव मनाया जाता है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, जो प्राण प्रतिष्ठा समारोह (22 जनवरी 2024) की भव्यता को दोहराएंगी।
इसे भी पढ़ें- Flood in UP: यमुना ने आगरा में तोड़ा 47 साल का रिकॉर्ड, यूपी में दिख रहा नदियों का रौद्र रूप
यह ध्वजारोहण मंदिर निर्माण का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा, जो हिंदू संस्कृति और धर्म की गौरवपूर्ण परंपरा को प्रतिबिंबित करेगा।चंपत राय ने कहा कि 42 फुट ऊंचा ध्वजस्तंभ अप्रैल 2025 में ही मंदिर के मुख्य शिखर पर स्थापित कर दिया गया है। अब एक विशेष ध्वजा तैयार की जा रही है, जो हिंदू धर्म और संस्कृति का प्रतीक होगी। यह ध्वजा 161 फुट ऊंचे शिखर पर फहराई जाएगी। उत्सव तीन दिवसीय होगा, जो 23 नवंबर से शुरू होकर 25 नवंबर को चरम पर पहुंचेगा। 25 नवंबर को सुबह 11:45 से दोपहर 12:15 बजे के बीच शुभ मुहूर्त में ध्वजारोहण होगा। इस दौरान राम रक्षा स्तोत्र का पाठ, विभिन्न मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन और विशेष आरती का आयोजन होगा।
ट्रस्ट ने राम बारात का भी पहली बार निकालने का ऐलान किया है, जो मंदिर परिसर से गुजरेगी।तैयारियों की रूपरेखा पर चंपत राय ने विस्तार से बताया कि लगभग 10,000 अतिथियों को आमंत्रित किया जाएगा। इनमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और देशभर के संत-महात्मा शामिल हैं। स्थानीय स्तर पर अयोध्या के 772 ग्राम प्रधानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी बुलाया जाएगा, जो प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न हो सके, वे इस आयोजन में भाग लेंगे। ट्रस्ट ने 9 सितंबर को होने वाली बैठक में अतिथि सूची को अंतिम रूप देने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू संगठनों से जुड़े लोग भी आमंत्रित होंगे। अयोध्या प्रशासन ने मेहमानों के ठहरने, सुरक्षा और यातायात की व्यवस्था तेज कर दी है। होटल और होमस्टे पहले से बुक हो रहे हैं।मंदिर परिसर में ध्वजारोहण के साथ-साथ अन्य मंदिरों में भी ध्वजा फहराई जाएगी। इसमें भगवान शिव, सूर्य देव, गणेश जी, हनुमान जी, माता भगवती और अन्नपूर्णा माता के सहायक शिखर शामिल हैं। साथ ही, शेषावतार मंदिर और सप्तऋषि मंडप में भी ध्वजा स्थापित होगी, जहां महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, अगस्त्य, वशिष्ठ, निषादराज, अहल्या और शबरी की मूर्तियां हैं।
चंपत राय ने कहा कि यह आयोजन प्राण प्रतिष्ठा से अलग होगा, जिसमें स्थानीय लोगों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। राम कथा का पाठ, प्रसिद्ध संगीतकारों और कलाकारों के प्रदर्शन भी होंगे, जो सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करेंगे।अक्टूबर 2025 से भक्तों को पूरे राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश की अनुमति मिल जाएगी। मंदिर निर्माण का लक्ष्य जुलाई 2025 तक पूरा करने का है, और यह ध्वजारोहण उसकी पूर्णता का प्रतीक बनेगा।
चंपत राय ने जोर देकर कहा कि उत्सव में पारंपरिक वैदिक रीति-रिवाजों का पालन होगा, और अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। अयोध्या प्रशासन और ट्रस्ट की संयुक्त टीम दिन-रात कार्यरत है, ताकि यह उत्सव यादगार बने। भक्तों में उत्साह चरम पर है, और यह आयोजन राम भक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
इसे भी पढ़ें- Ayodhya Deepotsav 2025: भव्यता की नई ऊंचाइयों को छूएगा आयोजन, पर नहीं बनेगा विश्व रिकॉर्ड