नई दिल्ली, 17 नवंबर 2025। भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग में पाकिस्तान, आतंकवाद, कश्मीर, बहु-क्षेत्रीय युद्ध और मणिपुर की स्थिति पर खुलकर बात की। उनका संवाद भारत की मजबूत सैन्य तैयारी, आत्मविश्वास और बदलते सुरक्षा परिदृश्य पर केंद्रित रहा। जनरल द्विवेदी ने पाकिस्तान को दो-टूक चेतावनी दी कि अगर वह मौका देगा, तो भारत उसे सिखाएगा कि पड़ोसी देश के साथ जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार कैसे किया जाता है।
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उन्होंने कहा, ‘हम हर परिस्थिति के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भारत विकास की राह पर है, लेकिन कोई भी बाधा डालने की कोशिश की गई, तो कार्रवाई अपरिहार्य होगी।’आतंकवाद पर सेना प्रमुख का रुख अटल था। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी देश जो आतंकवाद को बढ़ावा देता है, वह भारत के लिए खतरा है। ‘नई सामान्य स्थिति यही है कि बातचीत और आतंक साथ-साथ नहीं चल सकते, जो आतंकियों को संरक्षण देते हैं, उन्हें हम उसी नजरिए से देखेंगे। भारत किसी ब्लैकमेल से नहीं डरता।’
यह बयान वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत की दृढ़ नीति को रेखांकित करता है, जहां आतंकवाद को किसी भी कूटनीतिक प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए जनरल द्विवेदी ने इसे भारत की क्षमता का मात्र एक ‘ट्रेलर’ बताया। ‘यह ऑपरेशन सिर्फ 88 घंटों में पूरा हुआ, लेकिन यह तो बस शुरुआत थी।’ इस ऑपरेशन ने न केवल दुश्मन को सबक सिखाया, बल्कि भारतीय सेना की त्वरित और सटीक कार्रवाई की ताकत को दुनिया के सामने उजागर किया।
पाकिस्तान को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह सीमा पर उकसावे की कोशिश करेगा, तो भारत का जवाब निर्णायक होगा। आधुनिक युद्ध की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए सेना प्रमुख ने बताया कि आजकल जंग सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं रहती। ‘युद्ध अब बहु-क्षेत्रीय हो गया है—भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष में एक साथ लड़ा जाता है।’ उन्होंने जोर दिया कि युद्ध की अवधि अनिश्चित होती है, इसलिए लंबी सप्लाई चेन और संसाधनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करनी पड़ती है।
भारतीय सेना इन सभी डोमेन में एकीकृत रणनीति पर काम कर रही है, जो देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाएगी। जम्मू-कश्मीर पर बात करते हुए जनरल द्विवेदी ने 5 अगस्त 2019 के बाद आए सकारात्मक बदलावों का उल्लेख किया। ‘राजनीतिक स्पष्टता आई है और आतंकवाद में भारी गिरावट दर्ज की गई।’ एलएसी पर भारत-चीन संबंधों को लेकर उन्होंने आशावादी टिप्पणी की। ‘पिछले अक्टूबर से दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत के बाद संबंधों में सुधार हुआ है। सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में कदम बढ़े हैं।’
यह कूटनीति और सैन्य तैयारी के संतुलन को दर्शाता है। मणिपुर की स्थिति पर भी उम्मीद जताई गई। सेना प्रमुख ने कहा, ‘अगर सब कुछ ठीक रहा, तो राष्ट्रपति का मणिपुर दौरा संभव है। उम्मीद भरे दिन लौट रहे हैं।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देश की राजनीतिक इच्छाशक्ति ने सैन्य क्षमता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। ‘आज भारत की प्रतिरोधक क्षमता अभूतपूर्व रूप से मजबूत है।’ कुल मिलाकर, जनरल द्विवेदी का यह संवाद न केवल चुनौतियों का सामना करने की तैयारी दिखाता है, बल्कि भारत के उभरते वैश्विक नेतृत्व को भी मजबूत करता है। सेना की भूमिका अब सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास के रक्षक के रूप में विकसित हो रही है।
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