लखनऊ, 21 अगस्त 2025। Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और चुनाव आयोग के बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। अखिलेश ने आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी ने 18,000 शपथपत्र (एफिडेविट) चुनाव आयोग को सौंपे थे, जिनमें मतदाता सूची में गड़बड़ी और कुछ समुदायों के मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाने की शिकायत थी।
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इसके जवाब में, कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर के जिलाधिकारियों (DM) ने अखिलेश के दावों को खारिज करते हुए स्पष्टीकरण दिया, जिससे यह मामला और तूल पकड़ गया है।अखिलेश यादव ने 17 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा कि चुनाव आयोग का यह दावा गलत है कि उसे सपा की ओर से कोई शपथपत्र प्राप्त नहीं हुआ।
उन्होंने डिजिटल रसीदें साझा करते हुए मांग की कि आयोग खुद शपथपत्र देकर इन रसीदों की प्रामाणिकता की पुष्टि करे, अन्यथा न केवल आयोग बल्कि ‘डिजिटल इंडिया’ की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आ जाएगी। अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ खास समुदायों, जैसे मौर्य, पाल, भागेल और राठौर, के मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए गए, जिसने कई सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित किया।
इसके जवाब में, कासगंज के DM प्रणय सिंह, बाराबंकी के DM शशांक त्रिपाठी और जौनपुर के DM दिनेश चंद्र ने अपने-अपने जिलों में मतदाता सूची की जांच के बाद अखिलेश के दावों को खारिज किया। बाराबंकी के DM ने X पर पोस्ट किया कि कुर्सी विधानसभा क्षेत्र में दो मतदाताओं के नाम हटाने की शिकायत की जांच में पाया गया कि दोनों के नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं।
बाराबंकी जिले के विधान सभा क्षेत्र 266-कुर्सी के 2 मतदाताओं के शपथ पत्र उनके नाम मतदाता सूची से गलत ढंग से काट दिये जाने के संबंध में प्राप्त हुए। जांच में पाया गया कि उपर्युक्त दोनों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। https://t.co/Qk2axJ5UEe
— DM Barabanki (@BarabankiD) August 19, 2025
जो चुनाव आयोग ये कह रहा है कि हमें यूपी में समाजवादी पार्टी द्वारा दिये गये ऐफ़िडेविट नहीं मिले हैं, वो हमारे शपथपत्रों की प्राप्ति के प्रमाण स्वरूप दी गयी अपने कार्यालय की पावती को देख ले। इस बार हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग शपथपत्र दे कि ये जो डिजिटल रसीद हमको भेजी गयी है वो… pic.twitter.com/9A4njvF9Tw
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 17, 2025
कासगंज के DM ने बताया कि अमापुर विधानसभा क्षेत्र में आठ मतदाताओं के नाम हटाने की शिकायत में सात नाम दोहरे थे, और एक मतदाता की मृत्यु के कारण उसका नाम नियमों के अनुसार हटाया गया। जौनपुर के DM ने कहा कि जौनपुर विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदाताओं के नाम हटाने की शिकायत गलत थी, क्योंकि सभी पांच मतदाता 2022 से पहले मृत हो चुके थे।
अखिलेश ने इन जवाबों को “सतही” करार देते हुए सवाल उठाया कि इतने वर्षों बाद ये जवाब क्यों आए। उन्होंने कहा कि DMs के जवाबों ने यह साबित कर दिया कि चुनाव आयोग का “शपथपत्र नहीं मिले” का दावा झूठा था। उन्होंने इसे BJP सरकार, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन के बीच “गठजोड़” का सबूत बताया और इसकी गहन जांच की मांग की। अखिलेश ने यह भी कहा कि अगर आयोग सही रास्ते पर चलेगा, तो करोड़ों भारतीय उसका समर्थन करेंगे।
इस विवाद ने उत्तर प्रदेश और बिहार में मतदाता सूची प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दलों, खासकर सपा और कांग्रेस, ने आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वोट चोरी के आरोप निराधार हैं और शपथपत्र के बिना कोई शिकायत स्वीकार नहीं की जाएगी। हालांकि, अखिलेश ने दावा किया कि उनके द्वारा सौंपे गए 18,000 शपथपत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह विवाद आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची प्रबंधन को एक प्रमुख मुद्दा बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया के बिना जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है। अखिलेश ने सुप्रीम कोर्ट से भी इस मामले में हस्तक्षेप की उम्मीद जताई है।
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