लखनऊ, 28 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की स्मृति में राज्य का 76वां जिला बनाने की प्रक्रिया को गति दी है। प्रस्तावित जिला ‘कल्याण सिंह नगर’ नाम से गठित होगा, जो अलीगढ़ और बुलंदशहर जिलों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनेगा। इसमें मुख्य रूप से अलीगढ़ की अतरौली और गंगीरी तहसीलें तथा बुलंदशहर की डिबाई तहसील शामिल होंगी।
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यह कदम कल्याण सिंह की जन्मभूमि अतरौली (अलीगढ़) को केंद्र में रखते हुए उनकी विरासत को अमर करने का प्रयास है। इस मांग के प्रमुख समर्थक पूर्व सांसद राजवीर सिंह (कल्याण सिंह के पुत्र, जिन्हें ‘राजू भैया’ कहा जाता है) हैं। उन्होंने 1 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पिता की जन्मभूमि मढ़ौली गांव (अतरौली तहसील) को केंद्र बनाकर नए जिले की मांग की।
कल्याण सिंह, जो भाजपा के स्तंभ थे और पद्म विभूषण से सम्मानित हुए, उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उनका जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ के मढ़ौली गांव में लोधी परिवार में हुआ था। वे आरएसएस से जुड़े और 1967 से अतरौली विधानसभा सीट से 10 बार विधायक बने। 1991-92 एवं 1997-99 में मुख्यमंत्री रहते 1992 के बाबरी विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी ली। बाद में बुलंदशहर से सांसद बने तथा राजस्थान (2014-19) और हिमाचल प्रदेश (2019-21) के राज्यपाल रहे।
21 अगस्त 2021 को उनका निधन हुआ। वे अलीगढ़ को ‘जन्मभूमि’ और बुलंदशहर को ‘कर्मभूमि’ मानते थे। इससे पूर्व दिसंबर 2024 में ‘जिला निर्माण संघर्ष समिति’ ने भी मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। इसमें अनूपशहर, डिबाई और शिकारपुर तहसीलों को मिलाकर कल्याण सिंह के नाम पर जिला बनाने का सुझाव दिया गया। यह मांग स्थानीय विकास, बेहतर प्रशासनिक सुविधाओं और कल्याण सिंह की स्मृति को जोड़ती है।
मांग के बाद राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव (प्रभारी) राम कुमार द्विवेदी ने 27-28 अक्टूबर 2025 को अलीगढ़ व बुलंदशहर के जिलाधिकारियों को पत्र भेजा। इसमें जनसंख्या, क्षेत्रफल, विकास क्षमता जैसे मानकों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई, जो कमिश्नर के माध्यम से राजस्व परिषद को भेजी जाएगी। यदि रिपोर्ट सकारात्मक रही, तो कैबिनेट में प्रस्ताव पास हो सकता है। हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में कई नए जिले बने हैं, जो प्रक्रिया को सरल बनाते हैं।
प्रस्तावित क्षेत्र यमुना-गंगा के बीच कृषि-प्रधान है और दिल्ली-एनसीआर की निकटता से विकास की अपार संभावनाएं रखता है। स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक सुविधाएं मजबूत होंगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कल्याण सिंह की स्मृति से भाजपा समर्थकों में उत्साह का संचार होगा। हालांकि, क्षेत्र विभाजन से पुराने जिलों की सीमाएं बदलेंगी, जिसके लिए जनता की सहमति आवश्यक होगी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी चर्चा जोरों पर है। कई पोस्ट्स में योगी सरकार की सराहना हो रही है, जो #NayeBharatKaNayaUP जैसे हैशटैग्स के साथ वायरल हो रही हैं। यदि मंजूर हुआ, तो यह जिला 2026 तक अस्तित्व में आ सकता है। यह प्रस्ताव योगी सरकार की ‘विकास और सम्मान’ नीति का प्रतीक है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक व प्रशासनिक गतिविधियों को नई दिशा देगा।
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