नई दिल्ली, 1 नवंबर 2025। अमेरिका में एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है, जिसमें भारतीय मूल के टेलीकॉम उद्योगपति बंकिम ब्रह्मभट्ट मुख्य आरोपी बन चुके हैं। लगभग 4200 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) के लोन फ्रॉड के इस मामले ने न केवल अमेरिकी वित्तीय बाजार को हिला दिया है, बल्कि भारतीय प्रवासी उद्यमियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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ब्लैकरॉक समर्थित लेंडर HPS इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स ने ब्रह्मभट्ट पर धोखाधड़ी का मुकदमा दायर किया है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनियों के जरिए फर्जी दस्तावेज बनाकर भारी-भरकम लोन हासिल किया। यह मामला अगस्त 2025 में सामने आया, जब ब्रह्मभट्ट की कंपनियां दिवालिया घोषित हो गईं।
ब्रह्मभट्ट का बैकग्राउंड
बंकिम ब्रह्मभट्ट भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं, जो न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में रहते हैं। उन्होंने 2000 के दशक में टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा और ब्रॉडबैंड टेलीकॉम तथा ब्रिजवॉइस जैसी कंपनियां स्थापित कीं। ये फर्म्स वॉयस और डेटा सर्विसेज प्रदान करती थीं, जो अमेरिकी बाजार में तेजी से बढ़ीं। ब्रह्मभट्ट ने प्राइवेट क्रेडिट मार्केट का फायदा उठाकर अपनी कंपनियों को फंडिंग दी।
HPS ने सितंबर 2020 में पहला लोन दिया, जो 2021 तक 385 मिलियन डॉलर और अगस्त 2024 तक 430 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। BNP Paribas ने भी लगभग आधा फंडिंग प्रदान किया, लेकिन अब लगता है कि यह सब फर्जीवाड़े पर टिका था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रह्मभट्ट ने 2018 से फर्जी ईमेल डोमेन और कस्टमर लिस्ट बनाईं, ताकि अकाउंट्स रिसीवेबल्स का दिखावा कर लोन ले सकें।
घोटाले की सच्चाई
लेंडर्स का दावा है कि ब्रह्मभट्ट ने गैर-मौजूद राजस्व स्ट्रीम्स को कोलैटरल के रूप में गिरवी रखा। आंतरिक जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, जिसमें भारत और मॉरीशस में ऑफ-चेन फाइनेंस एसेट्स की बिक्री भी शामिल थी। इस साल की शुरुआत में एक कर्मचारी को संदिग्ध ईमेल्स मिले, जो अब फेब्रिकेशन का हिस्सा माने जा रहे हैं। कुल कर्ज 500 मिलियन डॉलर से ज्यादा का है, जिसमें BNP Paribas को 190 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। HPS के 179 बिलियन डॉलर के एसेट्स में यह मामूली लगता है, लेकिन प्राइवेट क्रेडिट मार्केट के जोखिमों को उजागर करता है। ब्रह्मभट्ट की कंपनियां चैप्टर 11 बैंक में हैं, जो रीऑर्गनाइजेशन की अनुमति देती है। उन्होंने 12 अगस्त को Bankruptcy Petition फाइल की। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया कि उनका ऑफिस लॉक है और घर पर कोई जवाब नहीं मिला। जांचकर्ताओं को शक है कि वे भारत भाग चुके हैं।
कानूनी लड़ाई
ब्रह्मभट्ट के वकील ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है, कहा कि मुकदमा बेबुनियाद है। लेकिन लेंडर्स रिकवरी के लिए कोशिश कर रहे हैं। यह मामला ऑटो पार्ट्स मेकर फर्स्ट ब्रांड्स और ट्रिकलर जैसे अन्य फ्रॉड्स से मिलता-जुलता है, जहां प्राइवेट लेंडिंग में पारदर्शिता की कमी ने घोटालों को जन्म दिया। भारतीय मूल के उद्यमियों के लिए यह चेतावनी है कि अमेरिकी बाजार में सख्त जांच का सामना करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर, यह घटना ग्लोबल फाइनेंस में विश्वास की कमजोरी दिखाती है।
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