बलरामपुर में छांगुर बाबा का काला साम्राज्य बेनकाब: फर्जी ट्रस्ट, विदेशी फंडिंग और धर्मांतरण का जालउत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जहां अवैध धर्मांतरण और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के काले कारनामों का पर्दाफाश हुआ है। यूपी एटीएस ने इस संगठित गिरोह के सरगना को लखनऊ से गिरफ्तार किया, जिसके बाद उसकी आलीशान कोठी पर बुलडोजर की गड़गड़ाहट गूंजी। छांगुर बाबा ने फर्जी ट्रस्ट बनाकर खाड़ी देशों से करीब 100 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई थी। हैरानी की बात यह है कि उसने बिना दुबई गए ही वहां की सरकार से प्रमाणपत्र हासिल कर लिया था।
कौन है छांगुर बाबा?
जमालुद्दीन, जो छांगुर बाबा के नाम से कुख्यात हुआ, मूल रूप से मुंबई का रहने वाला है। 2015 में उसने दुबई में इस्लाम कबूल किया और अपनी पत्नी नीतू (अब नसरीन) और बेटी समाले (अब सबीहा) के साथ बलरामपुर के चांद औलिया दरगाह के पास बस गया। यहां उसने खुद को “हजरत बाबा जमालुद्दीन पीर बाबा” के रूप में स्थापित किया। सरकारी दस्तावेजों में उसने हिंदू पहचान बरकरार रखी, जिससे वह जांच एजेंसियों की नजरों से बचता रहा।
फर्जी ट्रस्ट और विदेशी फंडिंग का जाल
एटीएस की जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने कई कागजी ट्रस्ट बनाए, जिनके जरिए उसने खाड़ी देशों से भारी-भरकम फंडिंग हासिल की। इन पैसों से उसने बलरामपुर में आलीशान कोठी, लग्जरी गाड़ियां और कई संपत्तियां खरीदीं। हैरतअंगेज बात यह है कि उसने दुबई सरकार से एक प्रमाणपत्र भी हासिल किया, बिना वहां कदम रखे। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह रैकेट केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग और जमीन हेराफेरी का भी हिस्सा था।
धर्मांतरण का खतरनाक खेल
छांगुर बाबा का गिरोह गैर-मुस्लिम महिलाओं, खासकर हिंदू युवतियों को निशाना बनाता था। पुलिस ने उसके ठिकाने से एक डायरी बरामद की, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों के नाम थे, जो धर्मांतरण के संभावित टारगेट थे। गिरोह के सदस्य हिंदू नामों का इस्तेमाल कर युवतियों को प्रलोभन देते थे। एक मामले में लखनऊ की गुंजा गुप्ता को “अमित” नाम के शख्स ने फंसाया और उसे छांगुर बाबा की दरगाह पर ले जाकर उसका नाम बदलकर अलीना अंसारी कर दिया गया।
बुलडोजर एक्शन और सख्त कार्रवाई
5 जुलाई 2025 को एटीएस ने छांगुर बाबा और उसकी पत्नी नसरीन को गिरफ्तार किया। इसके बाद 8 जुलाई को बलरामपुर प्रशासन ने उसकी मधपुर स्थित कोठी पर बुलडोजर चलाया, जो सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं होगा। दोषियों की संपत्तियां जब्त की जाएंगी और उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी कि कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे।”
ईडी और एनआईए की जांच शुरू
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यूपी पुलिस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच की मांग की है। ईडी अब छांगुर बाबा की संपत्तियों, बैंक खातों और विदेशी फंडिंग के नेटवर्क की गहराई से पड़ताल कर रही है। इसके अलावा, गिरोह के फाइनेंसर मोहम्मद अहमद खान की तलाश में लखनऊ और बलरामपुर पुलिस छापेमारी कर रही है।
पहले भी हो चुकी हैं गिरफ्तारियां
इस रैकेट से जुड़े दो अन्य आरोपियों, नवीन उर्फ जमालुद्दीन और छांगुर बाबा के बेटे महबूब को 8 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया था। दोनों फिलहाल लखनऊ जेल में हैं। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क में अभी 14 अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। सियासी बयानबाजी और जनता की नजर
इस मामले ने सियासी हलकों में भी हलचल मचा दी है। बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने इसे वोटबैंक की सियासत से जोड़ते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। वहीं, बलरामपुर की जनता इस खुलासे से स्तब्ध है और प्रशासन की कार्रवाई को सराह रही है।
आगे क्या?
छांगुर बाबा का यह काला साम्राज्य अब ढह चुका है, लेकिन जांच एजेंसियां इस नेटवर्क के हर पहलू को खंगाल रही हैं। यह मामला न केवल अवैध धर्मांतरण का है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक अपराधों से भी जुड़ा है। आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।