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30 साल बाद पकड़ा गया 200 रुपये रिश्वत लेने वाला आरोपी, नौकरी का झांसा देकर हुआ था फरार

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उत्तर कन्नड़, कर्नाटक – कर्नाटक में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी से 30 साल पहले 200 रुपये रिश्वत लेने वाला एक आरोपी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आरोपी ने साल 1995 में नौकरी दिलाने के नाम पर एक युवक से पैसे लिए थे और फिर फरार हो गया था। इतने सालों बाद भी पुलिस इस केस को नहीं भूली और आखिरकार एक प्लान के जरिए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

नौकरी का वादा कर लिए थे 200 रुपये, फिर हो गया फरार

यह मामला फरवरी 1995 का है। बी. केशवमूर्ति नाम का एक व्यक्ति खुद को एक संगठन का नेता बताकर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दे रहा था। वेंकटेश नाम के एक युवक ने सिरसी ग्रामीण थाने में शिकायत की थी कि केशवमूर्ति ने उससे नौकरी लगवाने के नाम पर 200 रुपये ले लिए, लेकिन न नौकरी मिली, न पैसे वापस मिले।

पुलिस ने उस वक्त धोखाधड़ी का केस दर्ज किया, लेकिन आरोपी बी. केशवमूर्ति फरार हो गया और उसका कोई सुराग नहीं मिला। वक्त के साथ यह केस ठंडे बस्ते में चला गया।

पुराने केस की समीक्षा में हुआ खुलासा

सालों बाद जब सिरसी ग्रामीण पुलिस स्टेशन में कार्यरत सीपीआई मंजूनाथ गौड़ा लंबित मामलों की समीक्षा कर रहे थे, तब उन्हें यह पुराना मामला मिला। मामले की तह में जाते हुए पुलिस ने कुंदापुर पुलिस स्टेशन से जानकारी जुटाई और पाया कि आरोपी वहीं का रहने वाला है।

बेंगलुरु में छिपा बैठा था आरोपी

पुलिस ने जब मामले की गहराई से जांच शुरू की, तो उन्हें पता चला कि केशवमूर्ति बेंगलुरु में छिपकर रह रहा है। पूछताछ और सर्विलांस के जरिए पुलिस को आरोपी का मोबाइल नंबर भी हाथ लग गया। इसके बाद पुलिस ने एक चाल चली।

पार्सल के बहाने बुलाकर दबोचा

पुलिस ने आरोपी को फोन कर कहा कि “आपका एक पार्सल आया है, कृपया आकर ले जाइए”। जैसे ही केशवमूर्ति पार्सल लेने के लिए तय जगह पर पहुंचा, वहां पहले से तैयार पुलिस टीम ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया।

भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

इस मामले ने साबित कर दिया है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। भले ही अपराध छोटा हो या बड़ा, और चाहे जितने भी साल बीत जाएं, पुलिस कभी हार नहीं मानती। 30 साल बाद आरोपी की गिरफ्तारी न केवल पुलिस की मेहनत का नतीजा है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक सीख है जो छोटी रकम लेकर भी कानून को हल्के में लेते हैं।

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