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Delhi Bomb Blast Case: अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर ED की नजर, फंडिंग जांच से बढ़ी मुश्किलें!

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Delhi Blast

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नई दिल्ली, 13 नवंबर 2025। Delhi Blast Case: दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के पास सोमवार शाम को हुए कार बम ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस धमाके में 13 लोगों की जान चली गई, जबकि दर्जनों घायल हुए। शुरुआती जांच में इसे दुर्घटना माना गया था, लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने इसे आतंकी हमला करार देते हुए यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) की धाराएं लगा दी हैं।

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इस मामले में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि मुख्य संदिग्ध डॉक्टर इसी संस्थान से जुड़े हैं। केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यूनिवर्सिटी की फंडिंग की गहन जांच का आदेश दे दिया है, जो ‘व्हाइट-कॉलर टेररिज्म’ के नए आयाम को उजागर कर रहा है। ब्लास्ट की घटना 6:52 बजे हुई, जब एक धीमी गति से चल रही ह्युंडई i20 कार रेड फोर्ट के पास फट गई।

विस्फोट इतना जबरदस्त था कि कार के परखचे दूर-दूर तक बिखर गए। शुरुआत में इसे गैस लीक माना गया, लेकिन फॉरेंसिक जांच में 2.9 टन विस्फोटक पदार्थ, नकदी और डायरी बरामद हुईं, जो जम्मू-कश्मीर के एक टेरर मॉड्यूल से जुड़ी हैं।

एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को केस सौंप दिया गया है, और जांच श्रीनगर से फरीदाबाद तक फैल चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्य आरोपी डॉक्टर मुजम्मिल और उनके साथी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर चुके हैं। ये ‘डॉक्टर्स ऑफ डेथ’ के नाम से चर्चित हो गए हैं, जो शिक्षित और सम्मानित पद पर होने के बावजूद रेडिकलाइजेशन का शिकार हो गए।

एक पूर्व सहपाठी ने ट्वीट कर कहा, “डॉ. मुजम्मिल मेरे जूनियर थे, कभी कल्पना नहीं की थी कि वे ऐसे कदम पर उतरेंगे।” पुलिस ने यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर्स से पूछताछ की है और कैंपस में सर्च ऑपरेशन चलाया। ईडी की जांच फोकस करेगी विदेशी फंडिंग पर, खासकर संदिग्ध स्रोतों से आने वाले दान पर यह घटना भारत में टेरर फंडिंग के नेटवर्क को नंगा कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में रेडिकलाइजेशन रोकने के लिए सख्त निगरानी जरूरी है।

प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद ईडी की टीम फरीदाबाद पहुंच चुकी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सफाई दी है कि वे पूरी जांच में सहयोग करेंगे, लेकिन छात्रों में डर का माहौल है। इस ब्लास्ट ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेड फोर्ट जैसे संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी और इंटेलिजेंस की कमी उजागर हुई।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया है। पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा हो चुकी है। यह केस न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ जंग है, बल्कि शिक्षा संस्थानों की जिम्मेदारी को भी परख रहा है। जांच आगे बढ़ने पर और खुलासे हो सकते हैं, जो पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर सकते हैं। देश आतंक के इस नए चेहरे से निपटने को तैयार है!

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