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अनिल अंबानी की कंपनी पर कोबरा पोस्ट का 41,000 करोड़ के फ्रॉड बड़ा आरोप, रिलायंस समूह ने बताया निराधार

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Anil Ambani

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नई दिल्ली 30 अक्टूबर 2025। प्रमुख जांच वेबसाइट कोबरा पोस्ट ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस एडीए ग्रुप (ADAG) पर एक झकझोर देने वाली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें समूह की कंपनियों पर 41,000 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले का आरोप लगाया गया है।

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रिपोर्ट के नाम “Lootwallahs-01” से हलचल मच गई है, जो 2006 से अब तक की अवधि में की गई वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर करती है। इसमें दावा किया गया है कि समूह ने बैंकों से लोन, डिबेंचर, आईपीओ और बॉन्ड के जरिए जुटाई गई लगभग 28,874 करोड़ रुपये की राशि का दुरुपयोग किया। यह धनराशि निवेशकों और आम लोगों के पैसे से जुड़ी बताई जा रही है, जिससे हजारों छोटे-मोटे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और अन्य सहायक कंपनियों ने जानबूझकर गलत जानकारी देकर फंड जुटाए, जो बाद में चुकाए नहीं गए। उदाहरण के तौर पर, केनरा बैंक से 1,050 करोड़ और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से अरबों रुपये के लोन का जिक्र है, जहां ब्याज और मूलधन दोनों बकाया हैं। कोबरा पोस्ट ने दस्तावेजों और आंतरिक स्रोतों के आधार पर यह खुलासा किया, जो समूह की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठाता है।

हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अनिल अंबानी से जुड़ी 40 से अधिक साइटों पर छापेमारी की, जिसमें 17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड का मामला शामिल है। ED ने ओडिशा की एक कंपनी के MD को गिरफ्तार भी किया, जो फर्जी बैंक गारंटी से जुड़ा था। CBI ने भी RCOM के खिलाफ 2,929 करोड़ के फ्रॉड केस दर्ज किया है। इस आरोपों पर रिएक्ट करते हुए रिलायंस समूह ने कड़ी सफाई दी है।

समूह के प्रवक्ता ने कहा कि ये दावे आधारहीन और भ्रामक हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी वित्तीय लेन-देन पारदर्शी रहे हैं और कोई फ्रॉड नहीं हुआ। समूह ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि वे कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं और कोर्ट में सफाई देंगे। अनिल अंबानी ने ED को दिए बयान में भी इन आरोपों को खारिज किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला समूह की वित्तीय संकट को और गहरा सकता है, खासकर जब ADAG पहले ही कर्ज के जाल में फंसा है। यह रिपोर्ट निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा रही है, क्योंकि रिलायंस ग्रुप ने पिछले वर्षों में कई कंपनियां बेचीं, लेकिन कर्ज का बोझ कम नहीं हुआ। सरकार और नियामक संस्थाओं पर अब जांच तेज करने का दबाव है। क्या यह फ्रॉड की सच्चाई उजागर करेगा या समूह की सफाई पर भरोसा करेंगे निवेशक? समय ही बताएगा।

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