अयोध्या, 28 अक्टूबर 2025। Ayodhya Ram Temple: रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, जो 500 वर्षों के इंतजार के बाद मात्र पांच वर्षों में साकार हो गया। 25 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य मंदिर के शिखर पर भव्य ध्वजारोहण करेंगे, जो मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक होगा। इस समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी उपस्थित रहेंगे।
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भूमि पूजन का शुभारंभ PM मोदी ने ही 5 अगस्त 2020 को किया था, जबकि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को संपन्न हुई। अब मंदिर की भव्य छटा भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रही है। मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जो पूरी तरह से बलुआ पत्थरों से तराशा गया है। इसका निर्माण अब समाप्त हो चुका है। भूतल पर बाल रूप में रामलला विराजमान हैं, जबकि प्रथम तल पर राम परिवार की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

शिखर पर कलश और 21 फीट ऊंचा ध्वज दंड स्थापित हो चुका है। मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए 800 मीटर लंबा आयताकार पत्थर का परकोटा तैयार है, जो 14 फीट चौड़ा है। परकोटे के चारों कोनों पर शिवलिंग, गणेश, सूर्य देव और मां भगवती की प्रतिमाएं विराजमान हैं। दक्षिणी भुजा पर हनुमान जी का मंदिर और उत्तरी भुजा पर माता अन्नपूर्णा का मंदिर बन चुका है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा जून 2025 में हो चुकी है और प्रतिमाओं की दैनिक पूजा-अर्चना जारी है।
राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर भाई लक्ष्मण का ‘शेषावतार’ मंदिर पूर्ण रूप से तैयार है। इसके अलावा, सप्त मंडपों में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और अहिल्या के मंदिर बन चुके हैं। संत तुलसीदास जी का मंदिर भी तैयार है, जहां उनकी प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। कुबेर टीला पर जटायू और अंगद टीला पर गिलहरी की प्रतीकात्मक स्थापनाएं भी हो चुकी हैं। ये सभी निर्माण रामायण की कथाओं को जीवंत करते हैं।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भक्तों की सुविधा के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं पूरी हो चुकी हैं। लाखों श्रद्धालु दर्शन कर पा रहे हैं, जो बेहतर प्रबंधन का प्रमाण है। परिसर में शौचालय ब्लॉक, यात्री सुविधा केंद्र और अन्य बुनियादी ढांचे तैयार हैं। हालांकि, कुछ कार्य बाकी हैं, जैसे सड़क निर्माण, संपर्क मार्ग, लैंडस्केपिंग और हरियाली विकास। ये काम टाटा ग्रुप की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) तेजी से कर रही है। भूमि सुंदरीकरण ‘जीवर’ संस्था संभाल रही है। पश्चिमी और दक्षिणी भाग में 10 एकड़ में पंचवटी का निर्माण चल रहा है।

ट्रस्ट कार्यालय, अतिथिगृह, सभागार, बाउंड्री वॉल और विभिन्न गेटों का निर्माण भी प्रगति पर है। तीन प्रमुख द्वार पूर्ण हो चुके हैं, चार और बाकी हैं। 70 एकड़ के विशाल परिसर में कार्य करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन तीर्थयात्रियों से जुड़े सभी कार्य समाप्त हो चुके हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक बनेगा। 25 नवंबर का ध्वजारोहण समारोह तीन दिवसीय उत्सव (23-25 नवंबर) के साथ होगा, जो अयोध्या को वैश्विक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करेगा।
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