चित्रकूट, 20 अक्टूबर 2025। Chitrakoot Scam: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में 43.13 करोड़ रुपये के बहुचर्चित कोषागार घोटाले ने एक नया मोड़ ले लिया है। घोटाले के कथित मुख्य आरोपी संदीप श्रीवास्तव की प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान रविवार को मौत हो गई। मौत के कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है, लेकिन घटनाक्रम ने पुलिस और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार में कोहराम मच गया है, जबकि विपक्ष इस घटना को ‘हिरासत में मौत’ करार देकर योगी सरकार पर हमलावर हो गया है।
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घोटाले का खुलासा कुछ महीनों पहले हुआ था, जब कोषागार के खातों में अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ। जांच में संदीप श्रीवास्तव की मुख्य भूमिका उभरी, जो कोषागार में उच्च पद पर तैनात थे। पुलिस ने दो दिन पहले सदर कोतवाली कर्वी में उनकी पूछताछ शुरू की। आधिकारिक तौर पर इसे ‘सिर्फ पूछताछ’ बताया गया, लेकिन संदीप को 24 घंटे से अधिक समय तक कोतवाली में रखा गया। शनिवार शाम उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। तुरंत चित्रकूट जिला चिकित्सालय पहुंचाए गए, जहां सीएमओ डॉ. भूपेश द्विवेदी, सीएमएस शैलेंद्र कुमार और अपर पुलिस अधीक्षक सत्यपाल सिंह की उपस्थिति में प्राथमिक उपचार किया गया।
हालत गंभीर होने पर उन्हें प्रयागराज मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहां रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। संदिग्ध परिस्थितियां अब जांच का केंद्र बिंदु बन गई हैं। सवाल उठ रहे हैं कि बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति या लिखित आदेश के आरोपी को इतने लंबे समय तक कोतवाली में क्यों रखा गया? अस्पताल में भर्ती की प्रक्रिया भी संदीप के भाई सचिन श्रीवास्तव के माध्यम से हुई, न कि पुलिस द्वारा। इससे आरोप लग रहे हैं कि मामले को दबाने की कोशिश की गई।
पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह का दावा है कि संदीप हिरासत में नहीं थे, बल्कि स्वेच्छा से पूछताछ के लिए आए थे। लेकिन अगर ऐसा था, तो उनकी तबीयत कोतवाली में ही क्यों बिगड़ी? अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी पुलिस की क्यों पड़ी? ये विरोधाभासी बयान न केवल संदेह बढ़ा रहे हैं, बल्कि न्यायिक जांच की मांग को बल दे रहे हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। संदीप की पत्नी और बच्चे सदमे में हैं, जबकि भाई सचिन ने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान दबाव बनाया गया।
इस घटना ने पूरे घोटाले की परतें उघाड़ने की संभावना को और धुंधला कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि इतना बड़ा घोटाला अकेले व्यक्ति द्वारा संभव नहीं; इसमें कई अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। मौत से साक्ष्य नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर इस मुद्दे को तूल दिया। उन्होंने लिखा, “चित्रकूट ट्रेजरी में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में मुख्य आरोपी की हिरासत में मौत बेहद गंभीर मुद्दा है।
इतना बड़ा घोटाला कोई अकेला नहीं कर सकता। कई लोगों की संलिप्तता उजागर होने की आशंका थी। इसे सामान्य मौत न मानकर निष्पक्ष जांच हो और सभी दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।” अखिलेश का यह बयान विपक्ष को एकजुट करने का संकेत दे रहा है।चित्रकूट प्रशासन ने मौत की मजिस्ट्रल जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन जनता में असंतोष व्याप्त है। क्या यह मौत घोटाले के राज दफन करने की साजिश है? या महज संयोग? सच्चाई सामने आने तक सवाल बने रहेंगे। उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में पारदर्शिता की सख्त जरूरत है, ताकि न्याय की उम्मीद बनी रहे।
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