नई दिल्ली, 20 अक्टूबर 2025। Delhi Pollution त्योहारों की रौनक में डूबे दिल्ली-एनसीआर में दिवाली की सुबह ही प्रदूषण का काला साया मंडराने लगा। 20 अक्टूबर 2025 को सुबह 8 बजे तक राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 414 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जो ‘सीवियर’ श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आनंद विहार स्टेशन पर यह आंकड़ा दर्ज किया गया, जहां हवा में घुला जहर लोगों की सांसों को दम तोड़ रहा है।
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दिवाली की पूर्व संध्या पर AQI 296 था, जो ‘पुअर’ कैटेगरी में था, लेकिन रात भर फटे पटाखों और ठंडी हवाओं ने प्रदूषण को और गहरा कर दिया। दिल्ली में GRAP-2 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत सख्त पाबंदियां लागू हैं। निर्माण कार्य बंद, कोयला और लकड़ी से भोजन बनाने पर प्रतिबंध, और वाहनों पर अतिरिक्त शुल्क जैसी कार्रवाइयां चल रही हैं। फिर भी, दिवाली के पटाखों ने हवा को और जहरीला बना दिया। CPCB के डेटा से पता चलता है कि शहर के 38 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से कई पर AQI 300 से ऊपर था। आनंद विहार के अलावा, अक्षरधाम इलाके में 426 तक पहुंचा था, जो ‘सीवियर’ का संकेत देता है। NCR के अन्य हिस्सों जैसे नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी स्थिति खराब है, जहां AQI 350-400 के बीच घूम रहा।

प्रदूषण के मुख्य कारणों में पटाखों का धुआं, वाहनों की संख्या, पराली जलाना और मौसमी बदलाव शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंडी हवाओं के कारण धुंध (स्मॉग) जम गया है, जो PM2.5 और PM10 कणों को हवा में लटका रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के लिए घातक है। सांस संबंधी बीमारियां, आंखों में जलन और हृदय रोगों का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली के अस्पतालों में सुबह से ही सांस की तकलीफ के केस बढ़े हैं। सरकार ने ‘ग्रीन पटाखों’ को बढ़ावा दिया था, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दो घंटे के पटाखों ने भी हवा को चोक कर दिया।
IMD के अनुसार, हल्की बारिश की संभावना है, जो प्रदूषण कम कर सकती है, लेकिन विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि लोग घरों में रहें, मास्क पहनें और AC के बजाय ह्यूमिडिफायर यूज करें। दिल्ली सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण कम करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए हैं, जैसे डीजल वाहनों पर बैन और स्प्रिंकलरों का इस्तेमाल। लेकिन लंबे समय के समाधान के लिए पराली प्रबंधन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना जरूरी है। इस दिवाली ने एक बार फिर याद दिला दिया कि उत्सव की खुशी के साथ पर्यावरण की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। क्या हम अगले साल तक सबक लेंगे?
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