लखनऊ, 16 अक्टूबर 2025। Divine Diwali: उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली के पावन पर्व को और भी विशेष बनाने के लिए एक अनूठी पहल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के सभी 18 मंडल मुख्यालयों में 16 और 17 अक्टूबर 2025 को ‘दिव्य दीपावली मेला-2025’ का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस मेले का मुख्य आकर्षण होंगे दिव्यांगजन द्वारा निर्मित विविध उत्पाद, जो न केवल उनकी कला-कौशल को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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यह आयोजन दिव्यांगों के स्वावलंबन को बढ़ावा देने का एक मजबूत कदम है, जो समाज में उनकी प्रतिभा को सम्मान देने का संदेश देता है।मेले में मिट्टी के पारंपरिक दीपकों से लेकर आधुनिक कृत्रिम आभूषण, हस्तशिल्प, परिधान और सजावटी सामग्री तक विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। ये सभी वस्तुएं दिव्यांग उद्यमियों, शिल्पकारों और कारीगरों के हाथों से तैयार की गई हैं, जो उनकी मेहनत और रचनात्मकता का प्रतीक हैं।

उदाहरण के लिए, लखनऊ मंडल में आयोजित होने वाले मेले में सैकड़ों स्टॉल्स सजेगी, जहां खरीदार न केवल दिवाली की खरीदारी करेंगे, बल्कि दिव्यांग भाइयों-बहनों को प्रोत्साहन भी देंगे। इसी प्रकार, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आगरा, झांसी, मेरठ, बरेली, गोरखपुर, फैजाबाद, अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, सहारनपुर, बंडेलखंड, बुंदेलखंड, देवीपाटन और चित्रकूटधाम मंडलों में भी समानांतर आयोजन होंगे।
हर मंडल में स्थानीय स्तर पर स्टॉल्स की संख्या 100 से अधिक रखी गई है, ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग कलाकारों को मंच मिल सके।इस पहल का उद्देश्य केवल उत्पादों की बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाना है। योगी सरकार ने हाल ही में 18 मंडलों में अत्याधुनिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का भी ऐलान किया है, जो चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाओं से लैस होंगे।
‘दिव्य दीपावली मेला’ इसी दिशा में एक कदम है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को साकार करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजन से न केवल दिव्यांगों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी आएगा। पिछले वर्षों में इसी तरह के मेलों से सैकड़ों दिव्यांगों को रोजगार मिला था, और इस बार भी अपेक्षाएं ऊंची हैं।
मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से इस आयोजन की समीक्षा की है, ताकि कोई कमी न रहे। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, जागरूकता सत्र और पुरस्कार वितरण भी शामिल होंगे, जो दिव्यांगों की उपलब्धियों को सम्मानित करेंगे। यह मेला न केवल दीवाली की रौनक बढ़ाएगा, बल्कि समावेशी समाज की नींव को मजबूत करेगा।
जनता से अपील की गई है कि वे स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें और दिव्यांगों का उत्साहवर्धन करें।कुल मिलाकर, ‘दिव्य दीपावली मेला’ यूपी की सांस्कृतिक धरोहर को दिव्यांगों की प्रतिभा से जोड़ने का प्रयास है। यह पर्व अब केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आशा और सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगा। ऐसे आयोजनों से प्रेरित होकर अन्य राज्य भी इसी दिशा में कदम उठा सकते हैं।
यूपी में दिव्य दीपावली का उत्सव: दिव्यांगों के हस्तशिल्प उत्पादों से सजेगी राजधानीउत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली के पावन पर्व को और भी विशेष बनाने के लिए एक अनूठी पहल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के सभी 18 मंडल मुख्यालयों में 16 और 17 अक्टूबर 2025 को ‘दिव्य दीपावली मेला-2025’ का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस मेले का मुख्य आकर्षण होंगे दिव्यांगजन द्वारा निर्मित विविध उत्पाद, जो न केवल उनकी कला-कौशल को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
यह आयोजन दिव्यांगों के स्वावलंबन को बढ़ावा देने का एक मजबूत कदम है, जो समाज में उनकी प्रतिभा को सम्मान देने का संदेश देता है।मेले में मिट्टी के पारंपरिक दीपकों से लेकर आधुनिक कृत्रिम आभूषण, हस्तशिल्प, परिधान और सजावटी सामग्री तक विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। ये सभी वस्तुएं दिव्यांग उद्यमियों, शिल्पकारों और कारीगरों के हाथों से तैयार की गई हैं, जो उनकी मेहनत और रचनात्मकता का प्रतीक हैं।
उदाहरण के लिए, लखनऊ मंडल में आयोजित होने वाले मेले में सैकड़ों स्टॉल्स सजेगी, जहां खरीदार न केवल दिवाली की खरीदारी करेंगे, बल्कि दिव्यांग भाइयों-बहनों को प्रोत्साहन भी देंगे। इसी प्रकार, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, आगरा, झांसी, मेरठ, बरेली, गोरखपुर, फैजाबाद, अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, सहारनपुर, बंडेलखंड, बुंदेलखंड, देवीपाटन और चित्रकूटधाम मंडलों में भी समानांतर आयोजन होंगे।
हर मंडल में स्थानीय स्तर पर स्टॉल्स की संख्या 100 से अधिक रखी गई है, ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग कलाकारों को मंच मिल सके।इस पहल का उद्देश्य केवल उत्पादों की बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाना है। योगी सरकार ने हाल ही में 18 मंडलों में अत्याधुनिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का भी ऐलान किया है, जो चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार जैसी सुविधाओं से लैस होंगे।
‘दिव्य दीपावली मेला’ इसी दिशा में एक कदम है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को साकार करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजन से न केवल दिव्यांगों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी आएगा। पिछले वर्षों में इसी तरह के मेलों से सैकड़ों दिव्यांगों को रोजगार मिला था, और इस बार भी अपेक्षाएं ऊंची हैं। मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से इस आयोजन की समीक्षा की है, ताकि कोई कमी न रहे।
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, जागरूकता सत्र और पुरस्कार वितरण भी शामिल होंगे, जो दिव्यांगों की उपलब्धियों को सम्मानित करेंगे। यह मेला न केवल दीवाली की रौनक बढ़ाएगा, बल्कि समावेशी समाज की नींव को मजबूत करेगा। जनता से अपील की गई है कि वे स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें और दिव्यांगों का उत्साहवर्धन करें।कुल मिलाकर, ‘दिव्य दीपावली मेला’ यूपी की सांस्कृतिक धरोहर को दिव्यांगों की प्रतिभा से जोड़ने का प्रयास है। यह पर्व अब केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आशा और सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगा। ऐसे आयोजनों से प्रेरित होकर अन्य राज्य भी इसी दिशा में कदम उठा सकते हैं।








