Home » स्वास्थ्य » Research: स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, तंबाकू नहीं बल्कि सिगरेट से तेजी से फैलता है कैंसर

Research: स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, तंबाकू नहीं बल्कि सिगरेट से तेजी से फैलता है कैंसर

Share :

कैंसर

Share :

 नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025। Research: दिल्ली में तंबाकू चबाने और बीड़ी पीने की लत ने कैंसर के मामलों को चरम पर पहुंचा दिया है। एक नई स्टडी में सामने आया है कि सिगरेट के मुकाबले तंबाकू से मुंह के कैंसर का खतरा कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ता है। लोक नायक अस्पताल में अगस्त 2023 से जून 2024 तक चली इस क्रॉस-सेक्शनल स्टडी में 116 मरीजों का अध्ययन किया गया, जिन्हें हिस्टोपैथोलॉजिकल रूप से मुंह का कैंसर पुष्टि हो चुका था।

इसे भी पढ़ें- बर्थ कंट्रोल पिल्स और ब्रेस्ट कैंसर, स्टडी ने बढ़ाई चिंता, जानें खतरे और सावधानियां

इनमें से आधे से ज्यादा दिल्ली के निवासी थे, बाकी उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे पड़ोसी राज्यों से। स्टडी के मुताबिक, च्यूइंग तंबाकू और बीड़ी सिगरेट से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं, खासकर निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए। स्टडी के प्रमुख निष्कर्ष बताते हैं कि मरीजों की औसत उम्र 47.9 वर्ष थी, जिसमें 80 प्रतिशत 60 साल से कम उम्र के थे। 87.9 प्रतिशत पुरुष थे और 97.4 प्रतिशत ऊपरी-निम्न या निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग से। 31 प्रतिशत के पास कोई मासिक आय नहीं थी, जबकि सिर्फ 38 प्रतिशत के पास इंटरनेट एक्सेस था, जो जागरूकता अभियानों की पहुंच को सीमित करता है।

स्मोकर्स में बीड़ी का इस्तेमाल सिगरेट से कहीं ज्यादा पाया गया। ग्लोबली, स्मोकलेस तंबाकू मुंह के कैंसर के एक तिहाई मामलों का कारण बनता है, और भारत में यह ट्रेंड दिल्ली स्टडी से भी पुष्ट होता है। तंबाकू चबाने से कैंसर तेजी से फैलता है क्योंकि यह सस्ता, आसानी से उपलब्ध और निम्न वर्ग में लोकप्रिय है। सिगरेट की तुलना में इसका रिस्क ज्यादा है, क्योंकि यह सीधे मुंह की झिल्ली को प्रभावित करता है।

स्टडी में पाया गया कि 66.4 प्रतिशत मरीजों को तंबाकू और मुंह के कैंसर के बीच संबंध की जानकारी थी, बाकी सिर्फ सामान्य हानि जानते थे। यह स्टडी मुंह के कैंसर के निदान और इलाज में देरी पर बड़ा प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो बताता है कि ये आदतें गहरी जड़ें जमाए हुए हैं लेकिन रोकी जा सकती हैं।दिल्ली में गुटखा, पान मसाला, फ्लेवर्ड तंबाकू और खर्रा जैसे उत्पादों पर लगभग एक दशक से बैन है, फिर भी भीड़भाड़ वाले इलाकों में ये खुले आम बिक रहे हैं। सस्ते होने के कारण ये सिगरेट से ज्यादा प्रचलित हैं।

लीड ऑथर डॉ. पार्थ शर्मा, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट से, कहते हैं, “स्मोकर्स में बीड़ी का इस्तेमाल सिगरेट से काफी ज्यादा है। बीड़ी और च्यूइंग तंबाकू मुंह के कैंसर का खतरा सिगरेट से कहीं ज्यादा बढ़ाते हैं।” वे जोड़ते हैं कि कम कीमत इन्हें निम्न आय वर्ग में खासतौर पर खतरनाक बनाती है।शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि निम्न आय वर्ग के लिए लक्षित पब्लिक हेल्थ मैसेजिंग जरूरी है। सामान्य एंटी-टोबैको स्लोगन की बजाय, पैकेट्स पर स्पष्ट चेतावनी होनी चाहिए।

वर्तमान में सिर्फ “तंबाकू दर्दनाक मौत का कारण” लिखा होता है, बिना मुंह के कैंसर का जिक्र। मुंह के घावों की तस्वीरें भी खराब क्वालिटी की हैं। एक शोधकर्ता ने कहा, “च्यूइंग तंबाकू और बीड़ी की आदतें गहरी हैं, लेकिन जागरूकता और स्पष्ट चेतावनी जान बचा सकती हैं। मुंह का कैंसर रोका जा सकता है। पहला कदम है लोगों को उनके इस्तेमाल और खतरे के बीच कनेक्ट करना। “यह स्टडी ecancermedicalscience जर्नल में प्रकाशित हुई है। तंबाकू निषेध अभियान को मजबूत करने की जरूरत है ताकि दिल्ली जैसे शहरों में कैंसर का बोझ कम हो। जागरूकता ही असली हथियार है।

इसे भी पढ़ें- बर्थ कंट्रोल पिल्स और ब्रेस्ट कैंसर, स्टडी ने बढ़ाई चिंता, जानें खतरे और सावधानियां

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
News Portal Development Services in Uttar Pradesh
Cricket Score
सबसे ज्यादा पड़ गई
Share Market

शहर चुनें

Follow Us