नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2025। Weight Loss Drugs: मोटापे की समस्या आजकल युवाओं से लेकर मध्यम आयु वर्ग तक सभी को परेशान कर रही है। भारत में वजन घटाने के लिए कई दवाएं लोकप्रिय हैं, लेकिन इनके साइड इफेक्ट्स भी गंभीर हो सकते हैं। हाल ही में सीडीएससीओ (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) ने ओजेम्पिक जैसी दवाओं को मंजूरी दी है, जिससे बाजार में हलचल मच गई है। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के इनका सेवन जानलेवा साबित हो सकता है। आइए जानते हैं भारत में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख वजन घटाने वाली दवाओं के बारे में, उनकी कीमतें, फायदे और जोखिम।
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सबसे पहले बात करें ओर्लिस्टेट (जेनिकल या एली) की। यह एक पुरानी दवा है जो वसा अवशोषण को रोकती है। भारत में आसानी से उपलब्ध, इसकी कीमत 500-1000 रुपये मासिक है। यह 5-10% वजन कम करने में मदद करती है, लेकिन साइड इफेक्ट्स में तैलीय मल, पेट दर्द और पोषक तत्वों की कमी शामिल है। फिर आती है फेंटर्माइन, एक भूख दबाने वाली दवा, जो 3-6 महीने के लिए निर्धारित की जाती है। इसकी कीमत 300-600 रुपये प्रति माह है। यह तुरंत प्रभाव दिखाती है, लेकिन हृदय गति बढ़ने, अनिद्रा और ब्लड प्रेशर की समस्या पैदा कर सकती है।
नई पीढ़ी की दवाओं में सेमाग्लूटाइड आधारित ओजेम्पिक और वेगोवी प्रमुख हैं। ओजेम्पिक को टाइप-2 डायबिटीज के लिए मंजूर किया गया है, लेकिन ऑफ-लेबल वजन घटाने के लिए इस्तेमाल होता है। यह साप्ताहिक इंजेक्शन है, कीमत 10,000-15,000 रुपये मासिक। यह 15-20% वजन कम कर सकती है, लेकिन उल्टी, दस्त, पैनक्रियाटाइटिस और यहां तक कि कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है।
वेगोवी, भी सेमाग्लूटाइड पर आधारित, विशेष रूप से मोटापे के लिए मंजूर है (जून 2025 में लॉन्च)। इसकी कीमत 17,000-26,000 रुपये मासिक है। साइड इफेक्ट्स समान हैं, जिसमें गैस्ट्रोपेरेसिस (पेट की लकवा जैसी स्थिति) शामिल है। मौनजारो (टिरजेपेटाइड) सबसे नई है, जो डायबिटीज और मोटापे दोनों के लिए मंजूर (जून 2024)। कीमत 14,000-17,500 रुपये मासिक। यह 20% तक वजन घटा सकती है, लेकिन यूके में 181 पैनक्रियाटाइटिस के मामले और 5 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
अन्य दवाएं जैसे लिराग्लूटाइड (सैक्सेंडा) भी इंजेक्शन रूप में उपलब्ध हैं, कीमत 8,000-12,000 रुपये, साइड इफेक्ट्स में थायरॉइड कैंसर का जोखिम। इनमें सबसे खतरनाक मानी जा रही है मौनजारो, क्योंकि इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स जैसे पैनक्रियाटाइटिस और मौतों की रिपोर्ट्स सबसे ज्यादा हैं। पुरानी दवाओं में सिबुट्रामाइन (2010 में प्रतिबंधित) हृदय रोग का कारण बनी थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये दवाएं डाइट और व्यायाम के साथ ही लें। भारतीय बाजार में एंटी-ओबेसिटी दवाओं का कारोबार 628 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, लेकिन आईएमए ने दुरुपयोग पर सख्त नियंत्रण की मांग की है। मोटापा भारत में 23-24% आबादी को प्रभावित करता है, इसलिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, न कि जोखिम भरी दवाओं पर निर्भर। डॉक्टर से सलाह जरूरी है।
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