लखनऊ, 9 अक्टूबर 2025। BSP Rally: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गुरुवार को स्वर्गीय कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित विशाल रैली में दलित समाज को जगाने वाला भाषण दिया। हजरों समर्थकों से खचाखच भरी रैली में मायावती ने हाथ में संविधान थामे नाटकबाजी करने वालों पर कटाक्ष किया और समाजवादी पार्टी (SP) के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन को झूठा बताते हुए BSP की वापसी का ऐलान किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश (UP) और बिहार में BSP को पूर्ण बहुमत से सत्ता में लाने का आह्वान किया। BJP, SPA और कांग्रेस पर जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया।
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रैली की 10 प्रमुख बातें निम्न हैं
पहली, मायावती ने याद दिलाया कि 2007 में BSP ने UP में चौथी बार बल बूते पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। लेकिन BJP, कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों को यह नागवार गुजरा। केंद्र की BJP सरकार ने झूठे मामलों में CBI और इनकम टैक्स जांच कराकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की। कांग्रेस ने न्याय न देकर उलझाया, मगर कोर्ट से उन्हें न्याय मिला।

दूसरा, उन्होंने कहा कि BSP सरकार ने बाबासाहेब आंबेडकर और कांशीराम के सपनों को साकार किया। गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम किया, लेकिन अब अन्य राज्य सरकारें इनके नाम बदलकर इन्हें भुल रही हैं। उपेक्षित वर्गों को आरक्षण का पूरा लाभ दिया गया।
तीसरा, सर्व समाज के गरीबों, वकीलों, व्यापारियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं को योजनाओं का लाभ पहुंचाया। कानून-व्यवस्था मजबूत की, अपराध नियंत्रण पर जोर दिया और शांति का माहौल बनाया। हर स्तर पर अन्याय-मुक्त वातावरण तैयार किया।
चौथा, ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति पर चलते हुए सर्व समाज का विकास किया। मुफ्त राशन देकर लोगों को गुलाम नहीं बनाया, बल्कि आत्मनिर्भर बनाया।
पांचवां, BSP सरकार ने बहुजन समाज के महान संतों-गुरुओं जैसे महात्मा फुले, शाहूजी महाराज, नारायण गुरु, रविदास, गौतम बुद्ध, आंबेडकर और कांशीराम को पूर्ण सम्मान दिया, जो जातिवादी पार्टियों को बर्दाश्त नहीं हुआ।
छठा, SP को सबसे बड़ा विरोधी बताते हुए मायावती ने PDA को हवा-हवाई बताकर दलितों को गुमराह करने का आरोप लगाया। SP ने BSP की योजनाओं के नाम बदल दिए और अधिकांश बंद कर दीं।
सातवां, SPA ने गुंडों, बदमाशों और माफियाओं को बढ़ावा दिया, जिससे कानून-व्यवस्था चरमरा गई। BJP में भी यही स्थिति रही। आजादी के बाद कांग्रेस के शासन में शोषण चला, पूंजीवादी सोच हावी रही। इमरजेंसी में आंबेडकर के संविधान को कमजोर किया।
आठवां, कांग्रेस ने हथकंडे अपनाकर अंबेडकर को संसद में नहीं जाने दिया, उन्हें भारत रत्न नहीं दिया। कांशीराम के निधन पर केंद्र में राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया। SP ने UP में राजकीय शोक न किया।
नौवां, BJP समेत अन्य दलों की योजनाएं कागजी हैं, शोषण जारी है।
दसवां, UP में BSP को अकेले पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना जरूरी है, क्योंकि BJP, SP, कांग्रेस हथकंडे अपनाएंगी। मायावती का यह भाषण BSP कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर गया। उन्होंने कांशीराम के विचारों को जीवंत करते हुए कहा कि बहुजन समाज अब जाग चुका है और सत्ता की कमान फिर संभालेगा। रैली में संविधान की प्रति थामे कार्यकर्ता नारे लगाते दिखे, जो मायावती के संदेश का प्रतीक बने। यह रैली UP की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है, जहां BSP की पुरानी ग्लोरी को पुनर्जीवित करने की कोशिश साफ दिखी।
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