नई दिल्ली, 8 अक्टूबर 2025। New Job Opportunities: टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवा लंबे समय से दिल्ली, मुंबई या बैंगलोर जैसे मेट्रो शहरों की ओर रुख करते रहे हैं, नौकरी के सपनों को पूरा करने के लिए। कईयों का सपना सच होता है, लेकिन कई अधूरा रह जाता है। लेकिन अब एक नई रिपोर्ट ने रोजगार की तलाश में लगे युवाओं का ध्यान खींच लिया है।
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लखनऊ, इंदौर, जयपुर, भुवनेश्वर, सूरत और नागपुर जैसे छोटे शहरों में नौकरियों की ग्रोथ रेट हर साल 21 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह मेट्रो शहरों के 14 प्रतिशत के ग्रोथ रेट से कहीं ज्यादा है। इससे साफ झलकता है कि छोटे शहरों में रोजगार के द्वार तेजी से खुल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स के गोदामों का विस्तार, कॉल सेंटर्स की स्थापना और त्योहारों के दौरान बढ़ते पर्यटन ने इन शहरों में नई नौकरियों का सृजन किया है।
कई क्षेत्रों में यह बदलाव स्थायी है, जिससे भविष्य में भी पर्याप्त अवसर मिलते रहेंगे। अब छोटे शहरों के युवाओं को महंगे मेट्रो शहरों की ओर पलायन करने की जरूरत नहीं। वे घर-परिवार के पास रहकर ही करियर बना सकते हैं। दूसरी ओर, मेट्रो शहरों में आईटी, बैंकिंग, मीडिया, मार्केटिंग और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में ग्रोथ तो हो रही है, लेकिन रेट महज 14 प्रतिशत है। इन जगहों पर अवसर भले ही ज्यादा लगें, लेकिन प्रतिस्पर्धा भी कठिन है।
रिपोर्ट बताती है कि टियर 2-3 शहरों में उभरते अवसर युवाओं के लिए वरदान साबित हो सकते हैं।नौकरी तलाश रहे युवाओं के मन में सवाल उठना लाजमी है: मेट्रो जाएं या घर पर रहें? इसका फैसला उनकी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। मेट्रो में नए अनुभव और ऊंची सैलरी मिल सकती है, लेकिन किराया, ट्रांसपोर्ट और खान-पान के खर्चे भी बढ़ जाते हैं।
वहीं, छोटे शहर में रहकर ये खर्चे कम रहेंगे, हालांकि सैलरी में थोड़ा फर्क हो सकता है। इसलिए, फैसला लेने से पहले बजट, परिवार और लॉन्ग-टर्म गोल्स पर विचार करें। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाने में मददगार साबित होगा, जहां ग्रामीण और छोटे शहरों का योगदान बढ़ेगा।
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