जयपुर, 6 अक्टूबर 2025। Jaipur SMS Hospital Fire: राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात को आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी भयानक आग ने कई परिवारों को शोक में डुबो दिया। इस दर्दनाक हादसे में कम से कम 7 मरीजों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से प्रभावित हुए। अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और दमकलकर्मियों ने रात भर की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था।
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ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि आग संभवतः शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई, जो स्टोरेज एरिया से फैलकर आईसीयू तक पहुंच गई। वार्ड में भर्ती अधिकांश मरीज पहले से ही क्रिटिकल कंडीशन में थे, कई कोमा में थे और उनके सर्वाइवल रिफ्लेक्स बेहद कमजोर थे। आग से निकलने वाली जहरीली गैसों ने उनकी सांस लेने की क्षमता को और बाधित कर दिया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। डॉ. धाकड़ ने कहा, “हमने तुरंत मरीजों को निचले फ्लोर के आईसीयू में शिफ्ट करने का प्रयास किया, लेकिन विषाक्त धुएं के कारण 7 मरीजों को बचाना संभव नहीं हो सका।
कुल 24 मरीज प्रभावित हुए थे, जिनमें से ज्यादातर को सुरक्षित निकाल लिया गया।” बचाव कार्य के दौरान स्टाफ ने ट्रॉली और मैनुअल तरीके से मरीजों को बाहर निकाला, लेकिन लापरवाही के आरोप भी लग रहे हैं। परिजनों का कहना है कि फायर एक्सटिंग्विशर और पानी की उपलब्धता में देरी हुई, जिससे हादसा बढ़ गया। हादसे की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं एसएमएस अस्पताल पहुंचे और घटनास्थल का दौरा किया। उनके साथ राजस्थान सरकार के मंत्री जवाहर सिंह बेधम भी थे। मंत्री बेधम ने कहा, “यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
सीएम को सूचना मिलते ही वे अस्पताल के लिए रवाना हो गए। हमने घायलों के इलाज को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और सरकार पूर्ण सहयोग करेगी।” सीएम शर्मा ने अधिकारियों को तत्काल राहत प्रदान करने और उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए। उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना दी। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गहन जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। जयपुर पुलिस आयुक्त बिजू जॉर्ज जोसेफ ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट ही मुख्य कारण लग रहा है, लेकिन फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।”
उन्होंने पुष्टि की कि 7 मौतें हो चुकी हैं, जबकि शेष मरीजों को अन्य वार्डों में शिफ्ट कर इलाज जारी है। मृतकों के शव मॉर्चरी में रखे गए हैं और पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिजनों को सौंपे जाएंगे। पुलिस ने अस्पताल के फायर सेफ्टी सिस्टम और इलेक्ट्रिकल वायरिंग की जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी शोक व्यक्त किया और हाई-लेवल जांच की मांग की। अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और फायर सिस्टम की समीक्षा तेज कर दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी मानकों का पालन न होने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकार ने प्रभावितों के लिए 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। यह हादसा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है।
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