मुरादाबाद, 2 अक्टूबर 2025। 21 साल पुराने चर्चित अनवर हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-दो कृष्ण कुमार की अदालत ने प्रिंस रोड निवासी दानिश को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। सह-आरोपी शानू को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि मुख्य आरोपी वसीम की फाइल अभी दूसरी अदालत में विचाराधीन है।
यह फैसला मुरादाबाद के गुइयां बाग में 2004 में हुए उस हत्याकांड का है, जो 2500 रुपये के मामूली लेन-देन की रंजिश में हुआ था। घटना 19 अक्टूबर 2004 की रात की है, जब गुइयां बाग निवासी मुहम्मद अनवर पर वसीम, दानिश और शानू ने हमला किया। अनवर के भाई मुहम्मद आजम की शिकायत के अनुसार, अनवर ने वसीम को 2500 रुपये उधार दिए थे। जब अनवर ने पैसे वापस मांगे, तो वसीम ने रंजिश पाल ली। उसी रात, तीनों आरोपियों ने मिलकर अनवर पर गोली चला दी। गंभीर रूप से घायल अनवर को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई।
इस घटना ने गुइयां बाग में दहशत फैला दी थी और 2004 से 2006 तक यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना रहा।पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले की सुनवाई लंबी चली, जिसमें कई गवाहों के पलटने की चुनौती आई। फिर भी, वादी पक्ष के वकील एडीजीसी ब्रजराज सिंह ने गवाहों के बयान, चिकित्सा रिपोर्ट और पुलिस जांच के आधार पर मजबूत पैरवी की। अदालत ने चश्मदीदों और साक्ष्यों के आधार पर दानिश को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया।
शानू के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने से उसे बरी कर दिया गया।इस फैसले ने अनवर के परिवार को लंबे इंतजार के बाद राहत दी है। परिवार ने कहा, “21 साल की कानूनी लड़ाई के बाद एक आरोपी को सजा मिली। हम अन्य आरोपियों के खिलाफ भी न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।” यह मामला समाज को यह संदेश देता है कि छोटे विवादों को हिंसा में बदलने की कीमत भारी हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में फास्ट-ट्रैक कोर्ट जरूरी हैं ताकि न्याय में देरी न हो।
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