लखनऊ, 29 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी का नाम हमेशा विवादों से जुड़ा रहा है। कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके सोलंकी पर गुंडागर्दी, रंगदारी, आगजनी और फर्जी दस्तावेज बनाने जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं। पिछले तीन वर्षों से जेल की सलाखों के पीछे सड़ते हुए इरफान को हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
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गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में उन्हें जमानत दे दी गई, जिससे जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया, लेकिन, जैसे ही एक मुसीबत खत्म हुई, दूसरी ने दस्तक दे दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वित्तीय अनियमितताओं और बंग्लादेशी नागरिक को आश्रय देने के मामले में उन्हें नया समन जारी कर दिया है। यह नोटिस न केवल इरफान के लिए, बल्कि उनके करीबियों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है। इरफान सोलंकी का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2017 में सपा के टिकट पर विधायक बने, लेकिन बीजेपी सरकार बनने के बाद उन पर एक के बाद एक मुकदमे दर्ज होने लगे।
दिसंबर 2022 में कानपुर के जाजमऊ थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें इरफान को गैंग लीडर बताया गया। उनके भाई रिजवान सोलंकी, इजराइल आटेवाला, शौकत पहलवान जैसे सहयोगी भी आरोपी बने। आरोप था कि वे संगठित अपराध में लिप्त हैं, जिसमें रंगदारी वसूली, जमीन कब्जा और पुलिस से अभद्रता शामिल है। इस मामले में इरफान को 34 महीने जेल में काटने पड़े, लेकिन, 25 सितंबर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जस्टिस समीर जैन की बेंच ने उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली। कोर्ट ने तर्क स्वीकार किया कि सजा की न्यूनतम अवधि दो साल है और इरफान ने इससे अधिक समय जेल में बिताया है।
साथ ही, गैंग चार्ट पर कमिश्नर और डीएम की सहमति में कोई एप्लीकेशन ऑफ माइंड नहीं था। इस फैसले से सपा समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी ने भावुक होकर कहा, “पौने तीन साल का संघर्ष आज खत्म हुआ। कोर्ट से न्याय मिला।” उनकी मां को फोन पर खबर सुनाते ही रो पड़ीं। वकील इमरान उल्लाह के अनुसार, इरफान 26 सितंबर को जेल से रिहा हो सकते थे। भाई रिजवान और सहयोगी इजराइल को भी इसी मामले में जमानत मिली। इससे पहले, मार्च 2025 में रंगदारी मामले में और अक्टूबर 2024 में बंग्लादेशी नागरिक को फर्जी दस्तावेज बनाने के केस में जमानत मिल चुकी थी।
जून 2024 में जाजमऊ आगजनी मामले में सात साल की सजा के बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई थी, लेकिन अब सभी प्रमुख मामलों में जमानत मिलने से रिहाई तय लग रही थी, लेकिन राहत की इस सांस में ईडी ने आग लगा दी। 28 सितंबर 2025 को ईडी ने इरफान और उनके पांच करीबियों को समन जारी किया। मामला वित्तीय अनियमितताओं और अवैध आप्रवासन से जुड़ा है। आरोप है कि इरफान ने एक बंग्लादेशी नागरिक को भारत में आश्रय दिया और उसे फर्जी भारतीय पहचान पत्र (आधार, वोटर आईडी आदि) दिलाने में मदद की। यह बंग्लादेशी व्यक्ति पहले ही जालसाजी के मामले में जेल जा चुका है।
ईडी की जांच में संदिग्ध धन लेन-देन भी सामने आया है, जिसमें बिल्डरों और अन्य सहयोगियों की भूमिका है। नोटिस में कानपुर के पांच अन्य प्रमुख व्यक्तियों को भी तलब किया गया, जो पहले से ही संबंधित मामलों में नामजद हैं। ईडी ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के उल्लंघन से जुड़ी है।यह घटनाक्रम इरफान के राजनीतिक करियर पर सवाल खड़े करता है। सपा नेता के रूप में वे गरीबों के मसीहा बनने का दावा करते रहे, लेकिन आरोपों ने उनकी छवि धूमिल कर दी। ईडी का शिकंजा कसना भाजपा सरकार की सख्ती को दर्शाता है।
सपा ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है, जबकि ईडी इसे कानूनी कार्रवाई बता रही है। इरफान की रिहाई अगर होती भी है, तो ईडी की पूछताछ उनके लिए नई चुनौती होगी। क्या वे फिर राजनीति में वापसी करेंगे? या यह अंतिम कील साबित होगी? समय ही बताएगा। फिलहाल, “पुलिस से बचे तो ईडी में फंसे” वाली कहावत इरफान पर पूरी तरह फिट बैठती है।
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