नई दिल्ली, 26 सितंबर 2025। India-US Oil Dispute: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक ऊर्जा बाजार में उथल-पुथल मची हुई है, और भारत-अमेरिका संबंधों में रूसी तेल आयात सबसे बड़ा अवरोध बन गया है। अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूस से कच्चे तेल खरीदने के कारण 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जो हाल ही में 50% तक बढ़ा दिया गया। इसके बावजूद भारत ने रूसी तेल आयात जारी रखा है, हालांकि मात्रा में कमी आई है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अमेरिका के सामने साफ शर्त रखी है कि रूस से तेल खरीद कम करने के बदले ईरान और वेनेजुएला जैसे प्रतिबंधित देशों से सस्ता तेल आयात करने की अनुमति दी जाए। ये दोनों देश बड़े तेल उत्पादक हैं, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण उनकी सप्लाई सीमित है। एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि इस हफ्ते अमेरिका गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में यह प्रस्ताव दोहराया। भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि रूस, ईरान और वेनेजुएला से एक साथ तेल बंद करने से वैश्विक तेल कीमतें आसमान छू सकती हैं, जो पूरी दुनिया के लिए नुकसानदेह होगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय और नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की।
रूस का सस्ता तेल
भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का लगभग 90% आयात करता है, और यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने अपने कच्चे तेल पर भारी छूट दी, जिससे भारत को फायदा हुआ। पहले कई पश्चिमी देशों ने रूस से व्यापार बंद कर दिया, जिसके चलते रूस को निर्यात के लिए कीमतें घटानी पड़ीं। जुलाई 2025 में भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल के लिए औसतन 68.90 डॉलर प्रति बैरल चुकाए, जबकि सऊदी अरब का तेल 77.50 डॉलर और अमेरिकी तेल 74.20 डॉलर प्रति बैरल पड़ा।
इससे भारत का आयात बिल अरबों डॉलर बच गया। रूस अब भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है, और भारतीय टैंकरों से आने वाला रूसी तेल वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है—कुल रूसी निर्यात में भारत दूसरे नंबर पर है, चीन के बाद। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के दबाव में भारत ने आयात में 10-20% की कटौती की योजना बनाई है, लेकिन वैकल्पिक स्रोतों की जरूरत है। ईरान और वेनेजुएला का तेल भी इसी तरह सस्ता हो सकता है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।
ईरान-वेनेजुएला प्रतिबंध
भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण 2019 में ईरान से तेल आयात बंद कर दिया था। इसी साल देश की सबसे बड़ी निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वेनेजुएला से भी खरीद रोक दी। वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाला देश है, लेकिन राजनीतिक संकट और अमेरिकी प्रतिबंधों से उसकी सप्लाई प्रभावित है। ईरान भी ओपेक का प्रमुख सदस्य है, लेकिन परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका की पाबंदियां बाधा हैं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इन देशों से तेल बंद होने से मिडिल ईस्ट पर निर्भरता बढ़ेगी, जो महंगा साबित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा यदि लागू होता है, तो भारत को सस्ते विकल्प मिलेंगे और रूस पर दबाव कम होगा।
वाणिज्य मंत्री का बयान
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में न्यूयॉर्क में कहा कि भारत अमेरिका से तेल और गैस आयात बढ़ाना चाहता है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लक्ष्यों में अमेरिका की भूमिका बहुत बड़ी होगी।” लेकिन यह तभी संभव है जब टैरिफ हटें और वैकल्पिक स्रोत खुलें। अमेरिकी दूतावास ने कहा कि भारत का रूसी तेल आयात “रूस की हानिकारक गतिविधियों के खिलाफ अमेरिकी प्रयासों को कमजोर करता है।” फिर भी, विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह कूटनीतिक बातचीत भारत को फायदा पहुंचा सकती है। सितंबर 2025 में भारतीय रिफाइनर रूसी आयात 1.5-3 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन लंबे समय में विविधीकरण जरूरी है। यह विवाद न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। यदि शर्त मानी जाती है, तो भारत 14,000 किमी दूर ईरान-वेनेजुएला से तेल मंगाने की तैयारी में जुट सकता है, जो उसके बिल को और कम करेगा। कुल मिलाकर, यह ऊर्जा कूटनीति का नया दौर है, जहां राष्ट्रीय हित और वैश्विक दबाव का संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है।
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