लखनऊ, 25 सितंबर 2025। Yogi government: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में एक मंत्री ने अपने ही प्रशासन के एक विवादास्पद फैसले के खिलाफ खुला विरोध जताते हुए राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस मंत्री ने दावा किया है कि उन्होंने इस मुद्दे को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा दिया है, जिससे राज्य की सत्ता में सेंध लगने की आशंका पैदा हो गई है। यह घटना भाजपा की आंतरिक एकजुटता पर सवाल खड़ी कर रही है, खासकर तब जब लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी में उत्तराधिकार की अटकलें जोर पकड़ रही हैं।मंत्री ने जिस फैसले का विरोध किया है, वह राज्य सरकार की एक प्रमुख नीति से जुड़ा है, जो स्थानीय स्तर पर किसानों और पिछड़े वर्गों को प्रभावित कर रही है।
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सूत्रों के अनुसार, यह फैसला भूमि सुधार और सब्सिडी वितरण से संबंधित है, जिसे योगी कैबिनेट ने हाल ही में मंजूरी दी थी। मंत्री का कहना है कि यह नीति न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि भाजपा के मूल वोट बैंक खासकर ओबीसी और दलित समुदाय को अलग-थलग कर देगी। उन्होंने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री को कई बार चेतावनी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब यह मामला केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुंच चुका है। पीएम मोदी ने व्यक्तिगत रूप से इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है।”यह विवाद तब और गहरा गया जब मंत्री ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया कि वे योगी सरकार के ‘बुलडोजर नीति’ के अंधाधुंध इस्तेमाल से भी असंतुष्ट हैं।
उनका दावा है कि यह नीति विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने का हथियार बन गई है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। “हमारी सरकार विकास और न्याय की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर अन्याय हो रहा है। मैं चुप नहीं रह सकता,” उन्होंने कहा। इस बयान से भाजपा के अंदरूनी गुटबाजी साफ झलक रही है, जहां एक ओर योगी के कट्टर हिंदुत्व एजेंडे को समर्थन है, वहीं दूसरी ओर मध्यमार्गी नेता केंद्र के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना योगी आदित्यनाथ की स्थिति को कमजोर कर सकती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश से भाजपा को 33 सीटें मिलीं, जो 2019 की तुलना में 29 कम हैं।
विपक्षी नेता अखिलेश यादव ने इसे ‘भाजपा का आंतरिक संकट’ बताते हुए कहा कि योगी मॉडल अब फेल हो चुका है। समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है, जबकि कांग्रेस ने इसे ‘सत्ता का दुरुपयोग’ करार दिया।केंद्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया आ रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर योगी से बात की है, लेकिन कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। पीएम मोदी की चुप्पी ने अटकलों को हवा दी है। क्या यह मंत्री का विद्रोह योगी के खिलाफ साजिश का हिस्सा है, या फिर केंद्र का संदेश? सवालों का दौर जारी है।इस घटना से भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई में तनाव बढ़ गया है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जैसे नेता पहले भी केंद्र के करीब दिखे हैं। अगर पीएम मोदी हस्तक्षेप करते हैं, तो कैबिनेट में फेरबदल असंभव नहीं। योगी सरकार को अब न केवल विपक्ष से, बल्कि अपने ही घर से चुनौती मिल रही है। यह मामला 2029 के चुनावों की दिशा तय कर सकता है, जहां योगी को मोदी के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन आंतरिक कलह पार्टी की एकता को चुनौती दे रहा है।
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