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UP Flood: यूपी में शुरू हुआ सर्वे का काम, जानें कितने के नुकसान पर मिलेगा मुआवजा

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  • 34 जिलों में लाखों हेक्टेयर फसल जलमग्न
  • हजारों परिवारों विस्थापित, भुखमरी के कगार पर 
  • गांव-गांव पहुंच रहीं टीमें
  • ड्रोन और जीपीएस तकनीक का  किया जा रहा इस्तेमाल  
लखनऊ, 20 सितंबर 2025। UP Flood: उत्तर प्रदेश में मानसून की भारी बारिश और नदियों के उफान ने खेती-किसानी को बुरी तरह प्रभावित किया है। गंगा, घाघरा, राप्ती और सरयू जैसी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चढ़ने से 34 जिलों में लाखों हेक्टेयर फसलें जलमग्न हो गईं। किसानों की मेहनत पर पानी फेरने वाली इस बाढ़ ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि हजारों परिवारों को विस्थापन और भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया। लेकिन अब राहत की किरण दिखाई देने लगी है।
राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सर्वे का कार्य शुरू कर दिया है, जिसके तहत क्षतिग्रस्त फसलों का आकलन किया जा रहा है। कम से कम 33 प्रतिशत नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा, जो सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित होगी। इस वर्ष की बाढ़ ने यूपी के पूर्वी और मध्य जिलों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया। लखीमपुर खीरी, बहराइच, गोरखपुर, आजमगढ़ और बलिया जैसे जिलों में नदियों का कहर देखने लायक था।
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नेपाल से आने वाले जलप्रवाह और ऊपरी क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। आंकड़ों के मुताबिक, कुल 3.71 लाख से अधिक किसानों की फसलें प्रभावित हुईं, जिनमें धान, गन्ना, सब्जियां और दलहन जैसी प्रमुख फसलें शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1.10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। इसके अलावा, सैकड़ों गांवों में घर डूब गए, पशुधन नष्ट हुआ और सड़कें-बांध क्षतिग्रस्त हो गए। किसान नेता राम गोविंद चौधरी ने विधानसभा में इस तबाही पर चर्चा की मांग की, जो सरकार की लापरवाही को उजागर करती है। जलवायु परिवर्तन के कारण मॉनसून का पैटर्न बदल गया है, जिससे ऐसी आपदाएं अब नियमित हो चली हैं।
 बाढ़ के पानी उतरते ही प्रशासन ने कमर कस ली। राहत आयुक्त कार्यालय के निर्देश पर तहसीलदार, ब्लॉक अधिकारी और कृषि विभाग की टीमें गांव-गांव पहुंच रही हैं। सर्वे का मुख्य फोकस फसल क्षति पर है, जहां ड्रोन और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल कर सटीक माप लिया जा रहा है। मुरादाबाद जिले में रामगंगा-कोसी बाढ़ से प्रभावित 4,500 किसानों का सर्वे पूरा हो चुका है, और 2.5 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसी तरह, प्रयागराज में गंगा-यमुना की पांच बार आई बाढ़ के नुकसान का सर्वे अंतिम चरण में है।
डीएम मनीष कुमार वर्मा ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए इस हफ्ते रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। सर्वे में न्यूनतम 33% क्षति को आधार मानकर मुआवजा निर्धारित किया जाएगा। सिंचित फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये तक की सहायता मिलेगी, जबकि असिंचित क्षेत्रों में यह राशि 8,000-10,000 रुपये होगी। सरकार की नीति के तहत, बाढ़ से हुए नुकसान पर तत्काल राहत प्रदान की जाएगी।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों की मदद के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। पिछले मानसून में ही 3.12 लाख किसानों को 163 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया गया था, जिसमें लखीमपुर खीरी को सबसे ज्यादा 70.88 करोड़ मिले। इस बार भी लक्ष्य इसी तरह का है। कम से कम 33% नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये (सिंचित) या 8,400 रुपये (असिंचित) का मुआवजा सुनिश्चित है। छोटे किसानों के लिए न्यूनतम 2,000 रुपये की सीधी सहायता होगी।
इसके अलावा, बीमा योजना के तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के लाभार्थियों को अतिरिक्त कवर मिलेगा। मुरादाबाद जैसे जिलों में प्रस्तावित 2.5 करोड़ रुपये इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं। धनराशि डीबीटी के माध्यम से पहुंचेगी, ताकि भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे।भविष्य की चुनौतियां: बाढ़ प्रबंधन पर जोरयह बाढ़ यूपी के लिए सबक है कि बांधों का रखरखाव और जल निकासी व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट बताती है कि देश का 40 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है, और यूपी इसमें अग्रणी है। सरकार को अब लंबी अवधि की योजनाओं पर ध्यान देना होगा, जैसे बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली और फसल विविधीकरण। किसान संगठनों ने मांग की है कि मुआवजा समयबद्ध हो, ताकि रबी सीजन की तैयारी प्रभावित न हो। कुल मिलाकर, सर्वे और मुआवजे से किसानों को सांस मिलेगी, लेकिन असली राहत तभी संभव जब बाढ़ को रोका जाए।

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