लखनऊ, 16 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल करने का फैसला किया है, ताकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी जा सके, जिसमें बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया था। यह कदम शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक शिक्षक के पदों के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। इस आदेश से हजारों बीएड डिग्री धारक उम्मीदवार प्रभावित हुए, जिन्होंने बिना टीईटी के भर्ती की उम्मीद की थी। योगी सरकार का मानना है कि यह फैसला राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के दिशा-निर्देशों और केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप नहीं है। सरकार का तर्क है कि बीएड धारकों को प्राथमिक स्तर की भर्ती में शामिल करने के लिए टीईटी की अनिवार्यता हटाने से योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिलेगा और भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट में मजबूत दलीलें पेश की जाएं। सरकार का कहना है कि टीईटी की अनिवार्यता से कई योग्य उम्मीदवार भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं, जिससे शिक्षक पदों पर रिक्तियां बढ़ रही हैं। यूपी में 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पहले ही विवादों में रही है, और इस नए कदम से सरकार इसे सुचारू करने की कोशिश कर रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, रिवीजन याचिका में एनसीटीई के नियमों और अन्य राज्यों की भर्ती नीतियों का हवाला दिया जाएगा। साथ ही, यह भी तर्क दिया जाएगा कि टीईटी की अनिवार्यता से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
इस मामले ने शिक्षक उम्मीदवारों के बीच बहस छेड़ दी है। कुछ उम्मीदवार टीईटी को गुणवत्ता का पैमाना मानते हैं, जबकि अन्य इसे अनावश्यक बाधा बताते हैं। योगी सरकार का यह कदम यूपी में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार अब सभी की नजरों पर है। यह कदम न केवल शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य में शिक्षा नीतियों पर भी असर डालेगा।
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