लखनऊ, 15 सितंबर 2025। समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित विधायक पूजा पाल ने हाल ही में एक सनसनीखेज बयान देकर राजनीतिक हलचल मचा दी है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- उन्हें पार्टी से इसलिए निकाला गया क्योंकि सपा मुस्लिम वोटों का नुकसान नहीं उठाना चाहती थी। पूजा पाल, जो कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से सपा की विधायक हैं, ने अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हमसे मुस्लिम नाराज न हों, हमारा मुस्लिम वोट कट न जाए, इसलिए पूजा पाल को निकाल दिया जाए।” यह बयान उनके निष्कासन के ठीक बाद आया, जब उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी।
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पार्टी विरोधी गतिविधियों का सिलसिला
पूजा पाल का सपा से संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहा है। 2024 के राज्यसभा चुनाव में उन्होंने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा उम्मीदवार को समर्थन दिया था, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका था। सपा ने तब चार अन्य विधायकों पर कार्रवाई की, लेकिन पूजा पाल को चेतावनी देकर छोड़ दिया। हालांकि, अगस्त 2025 में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने खुलेआम योगी सरकार की सराहना की।
उन्होंने कहा, “मेरे पति राजू पाल के हत्यारे अतीक अहमद को मुख्यमंत्री ने मिट्टी में मिला दिया।” यह बयान सपा के लिए असहनीय साबित हुआ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तत्काल पत्र जारी कर पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया, जिसमें लिखा गया कि उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों से सपा को नुकसान हुआ है। अब वे सपा के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगी।
पूजा पाल की पीड़ा और राजनीतिक सफर
पूजा पाल का राजनीतिक सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। 2007 में बसपा से प्रयागराज पश्चिम से विधायक बनीं, 2012 में माफिया अतीक अहमद को हराया। 2017 में हार गईं, लेकिन 2022 में सपा से चायल सीट जीती। उनके पति राजू पाल की 2005 में हत्या अतीक अहमद के हाथों हुई थी, जिसके बाद पूजा ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। निष्कासन के बाद उन्होंने कहा कि योगी की तारीफ नहीं, बल्कि अतीक जैसे अपराधी को ‘संस्कारिक मुस्लिम’ बताने पर उन्हें निकाला गया। उन्होंने जोड़ा, “मैं पीड़िता हूं, और सपा ने मेरी पीड़ा को अनदेखा किया।” पूजा ने स्पष्ट किया कि उनका राजनीतिक इतिहास उनके पति के नाम पर टिका है, न कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा पर।
बीजेपी की ओर संकेत?
निष्कासन के बाद पूजा पाल ने सोशल मीडिया पर अखिलेश को जवाब देते हुए कहा कि उन्हें चुनावी सीट की फिक्र नहीं, लेकिन अटकलें हैं कि वे भाजपा का दामन थाम सकती हैं। सपा ने स्पष्ट किया कि पार्टी विरोधी कार्य करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा की आंतरिक कलह को उजागर करती है, जहां वोट बैंक की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। पूजा पाल का बयान मुस्लिम वोटबैंक पर सपा की निर्भरता को लेकर बहस छेड़ सकता है। यदि वे भाजपा जॉइन करती हैं, तो चायल सीट पर रोचक टक्कर हो सकती है। कुल मिलाकर, यह मामला यूपी की सियासत में नया मोड़ ला सकता है।
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