नई दिल्ली,15 सितंबर। दिल्ली में हर दिन उत्पन्न होने वाला कचरा अब केवल समस्या नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत बन सकता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रोजाना निकलने वाले कचरे से बायोगैस बनाकर लगभग 17,000 कारों को चलाने लायक ऊर्जा उत्पादित की जा सकती है। यह खोज न केवल दिल्ली की कचरा प्रबंधन समस्या को हल करने में मददगार हो सकती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
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बायोगैस उत्पादन की संभावना
रिपोर्ट में बताया गया है कि, दिल्ली में रोजाना करीब 8,000 टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा जैविक कचरा है। इस जैविक कचरे को बायोगैस संयंत्रों में संसाधित करके बायो-सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) बनाया जा सकता है। यह बायो-सीएनजी पेट्रोल और डीजल का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है, जो वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो सकता है। CSE का अनुमान है कि इस प्रक्रिया से प्रतिदिन इतनी गैस बन सकती है, जो 17,000 कारों को चलाने के लिए पर्याप्त हो।
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को लाभ
कचरे से बायोगैस बनाने की प्रक्रिया न केवल कचरे के ढेर को कम करेगी, बल्कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी घटाएगी। यह प्रक्रिया लैंडफिल में कचरे के सड़ने से उत्पन्न होने वाली मीथेन गैस को नियंत्रित करने में मदद करेगी, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसके अलावा, बायो-सीएनजी का उत्पादन स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा दे सकता है और आयातित ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकता है। यह दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर के लिए एक टिकाऊ और किफायती समाधान हो सकता है।
चुनौतियां
हालांकि यह तकनीक आशाजनक है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं। बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए भारी निवेश, उचित बुनियादी ढांचे और जागरूकता की आवश्यकता है। साथ ही, कचरे के प्रभावी पृथक्करण और प्रबंधन के लिए दिल्ली की मौजूदा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। CSE ने सुझाव दिया है कि सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। यदि यह योजना सफल होती है, तो दिल्ली न केवल अपने कचरे का बेहतर प्रबंधन कर पाएगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक मिसाल भी कायम कर सकती है।
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