नई दिल्ली 13 सितंबर 2025। Indian Ocean: हिंद महासागर में भारत-चीन नौसेना प्रतिद्वंद्विता के बीच एक नया मोड़ आ गया है। भारतीय नौसेना का परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत INS विशाल, जो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के लिए ‘नर्क’ साबित होगा, अब योजना से निकलकर वास्तविकता की ओर बढ़ रहा है। रक्षा मंत्रालय की टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव एंड कैपेबिलिटी रोडमैप 2025 (TPCR-25) में 5 सितंबर 2025 को घोषित किया गया कि भारतीय नौसेना कम से कम 10 परमाणु-संचालित सतह युद्धपोत संचालित करेगी, जिसमें INS विशाल शामिल है।
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यह 75,000 टन का विशालकाय पोत, जो कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनेगा, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) से लैस होगा। फ्रांस से खरीदे गए 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों के साथ यह पोत हिंद महासागर पर भारत की प्रभुता स्थापित करेगा, जहां चीन का बेड़ा अब ‘गर्क’ होने की कगार पर है। यह विकास भारत को अमेरिका और फ्रांस के बाद तीसरा देश बनाएगा, जो परमाणु विमानवाहक संचालित करेगा। INS विशाल की योजना 2015 से चल रही है, लेकिन 2025 की रोडमैप ने इसे गति दी।
यह INS विक्रांत (40,000 टन) और INS विक्रमादित्य (रूस से प्राप्त) से कहीं बड़ा होगा, जो 300 मीटर लंबा और 30 नॉट की गति से चलेगा। परमाणु प्रणोदन से यह बिना रिफ्यूलिंग के महीनों तक समुद्र में रह सकेगा, जो हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में निरंतर गश्त सुनिश्चित करेगा। अमेरिका के साथ संयुक्त वर्किंग ग्रुप (JWGACTC) के तहत EMALS तकनीक पर सहयोग हो रहा है, जबकि फ्रांस और ब्रिटेन (HMS क्वीन एलिजाबेथ के डिजाइन) से सहायता ली जा रही है।
अनुमानित लागत 10-12 अरब डॉलर है, और निर्माण 2030 के दशक में शुरू हो सकता है, कमीशनिंग 2040 तक। यह पोत 50 विमानों का एयर विंग ले जा सकेगा, जिसमें राफेल-एम, HAL TEDBF और AMCA जैसे स्वदेशी विमान शामिल होंगे। चीन के फुजियन (80,000 टन) और अमेरिकी यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड को चुनौती देते हुए, INS विशाल भारत को ब्लू-वाटर नेवी की श्रेणी में स्थापित करेगा। अप्रैल 2025 में भारत और फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपये (लगभग 7.4 अरब डॉलर) का इंटर-गवर्नमेंटल एग्रीमेंट (IGA) साइन हुआ, जिसके तहत 26 राफेल-एम विमान खरीदे जाएंगे—22 सिंगल-सीट और 4 ट्विन-सीट।
डिलीवरी 2028 से शुरू होकर 2030 तक पूरी होगी, जिसमें ट्रेनिंग, सिमुलेटर, हथियार और 5 साल का परफॉर्मेंस-बेस्ड लॉजिस्टिक्स पैकेज शामिल है। ये विमान MiG-29K को रिप्लेस करेंगे और INS विक्रांत तथा विशाल पर तैनात होंगे। राफेल-एम मल्टी-रोल कैपेबल है, जो हवा-से-हवा, हवा-से-सतह और हवा-से-समुद्र हमलों में माहिर। SCALP क्रूज मिसाइल, मेटियोर BVR मिसाइल, एस्ट्रा और रुद्राम जैसे स्वदेशी हथियारों से लैस, यह विमान 1,000 किमी रेंज के साथ दुश्मन जहाजों को डुबो सकेगा।
ऑफसेट क्लॉज के तहत भारत में फ्यूजलेज प्रोडक्शन और MRO फैसिलिटी बनेगी, जो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ सहयोग बढ़ाएगी। राफेल-एम के साथ कामोव Ka-31 और MH-60R हेलीकॉप्टर दुश्मन पनडुब्बियों को ट्रैक करेंगे, जो हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ को रोकेंगे। चीन की PLAN दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 370 से अधिक जहाज हैं, लेकिन हिंद महासागर में इसकी उपस्थिति भौगोलिक रूप से सीमित है।
2025 तक PLAN के 395 जहाज होने का अनुमान है, जिसमें तीन विमानवाहक (लियाोनिंग, शांडोंग, फुजियन) शामिल। चीन ने जिबूती में बेस बनाया, मॉरीशस, श्रीलंका और मालदीव में पोर्ट एक्सेस लिया, और रिसर्च वेसल्स से डेटा कलेक्ट कर रहा। लेकिन हिंद महासागर भारत का ‘बैकयार्ड’ है, जहां 95% भारत का व्यापार गुजरता है। जनवरी 2025 में भारत ने INS वागशीर (स्कॉर्पीन सबमरीन), INS सूरत (डिस्ट्रॉयर) और INS नीलगिरी (फ्रिगेट) कमीशन किए, जो चीन को काउंटर करेंगे। जुलाई 2025 में बंगाल की खाड़ी में चीनी रिसर्च वेसल पकड़ा गया, जो भारत की निगरानी को चुनौती दे रहा था।
श्रीलंका ने 2024 में चीनी वेसल्स पर मोरेटोरियम लगाया। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी और QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) से चीन का ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति कमजोर हो रही। INS अरिघाट (दूसरी SSBN) और तीसरी अरिहंत-क्लास की कमीशनिंग से भारत की दूसरी स्ट्राइक क्षमता मजबूत हुई। INS विशाल और राफेल-एम से भारत हिंद महासागर में पावर प्रोजेक्शन कर सकेगा। यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार का 80% हिस्सा हैंडल करता है, और चीन की 60% तेल आयात यहां से गुजरती।
भारत की नौसेना 2030 तक 155-160 जहाजों तक पहुंचेगी, जबकि 2035 तक 200। पर्यावरणीय चुनौतियां जैसे परमाणु रिएक्टर डेवलपमेंट (BARC से 15-20 साल लग सकते हैं) और लागत हैं, लेकिन फ्रांस-यूके सहयोग से हल होंगी। अप्रैल 2025 में अफ्रीका के साथ संयुक्त नौसेना अभ्यास से भारत का प्रभाव बढ़ा। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूत करेगा, जहां स्वदेशी TEDBF और AMCA INS विशाल पर तैनात होंगे। कुल मिलाकर, यह परियोजना चीन के लिए ‘नर्क’ बनेगी, जो भारत को इंडो-पैसिफिक में सुपरपावर बनाएगी।
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