लखनऊ, 13 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां पुलिसकर्मियों को ही ठगी का शिकार बनाया गया। दारोगा (उपनिरीक्षक) समेत चार पुलिसकर्मियों से एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के नाम पर फ्लैट दिलाने के बहाने 1.14 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।
इसे भी पढ़ें- Cyber Fraud: यूपी में साइबर ठगी का जाल, फर्जी IAS से लेकर क्रिप्टो करेंसी तक, कैसे हो रही करोड़ों की लूट
आरोपी ने खुद को प्रॉपर्टी डीलर बताते हुए पीड़ितों को झांसा दिया कि उसके एलडीए में अच्छे कनेक्शन हैं और वह आसानी से फ्लैट उपलब्ध करा सकता है। लेकिन पैसे लेने के बाद वह फरार हो गया, जिससे पीड़ित पुलिसकर्मी परेशान हो गए। यह मामला न केवल पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अपराधी कैसे कानून के रखवालों को भी अपना शिकार बना लेते हैं। घटना अगस्त-सितंबर 2023 की है, जब पीड़ित पुलिसकर्मी फ्लैट खरीदने की तलाश में थे।
आरोपी ललित तिवारी ने संपर्क किया और एलडीए कॉलोनी में फ्लैट रजिस्ट्रेशन का लालच दिया। प्रत्येक पीड़ित ने 28,500 रुपये की चार किस्तों में कुल 1.14 लाख रुपये यूपीआई के माध्यम से ट्रांसफर किए। इनमें रायबरेली, एटा और लखनऊ पुलिस मुख्यालय में तैनात अधिकारी शामिल हैं। पैसे मिलने के बाद आरोपी ने वादा किया कि जल्द ही फ्लैट की डिटेल्स और रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, लेकिन कई महीनों तक कोई संपर्क नहीं होने पर पीड़ितों को शक हुआ।
उन्होंने आरोपी के फोन नंबर और बैंक डिटेल्स चेक कीं, जो फर्जी निकले।आरोपी ललित तिवारी ने एक सुनियोजित तरीके से ठगी की साजिश रची। उसने सोशल मीडिया और लोकल नेटवर्क के जरिए पुलिसकर्मियों को टारगेट किया, क्योंकि उन्हें लगा कि सरकारी नौकरी वालों के पास पैसे हैं। फ्लैट के नाम पर वेरिफिकेशन, रजिस्ट्रेशन फीस और ब्रोकरेज जैसे बहाने बनाए गए। पीड़ितों में मुख्य रूप से उपनिरीक्षक जगदीश सिंह, कांस्टेबल शुभम सिंह, आदर्श त्रिपाठी और संदीप पटेल शामिल हैं।
संदीप पटेल ने ही सबसे पहले तहरीर दी, जिसमें सभी ने मिलकर पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) को शिकायत दर्ज कराई। तहरीर के साथ यूपीआई ट्रांजेक्शन के स्क्रीनशॉट और आरोपी के मैसेजेस भी संलग्न किए गए। पीड़ितों ने मांग की है कि आरोपी के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज हो और पैसे वापस दिलाए जाएं।यह ठगी का मामला लखनऊ के एलडीए क्षेत्र से जुड़ा है, जहां प्रॉपर्टी डीलिंग में अक्सर फर्जीवाड़े की खबरें आती रहती हैं। आरोपी ने एलडीए में अपनी ‘सेटिंग’ का दावा किया था, लेकिन जांच में यह झूठा निकला। पुलिस ने तहरीर मिलने के बाद आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।
ललित तिवारी का कोई स्थायी ठिकाना नहीं मिला है, लेकिन उसके बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से ट्रेसिंग की जा रही है। यह घटना पुलिसकर्मियों के बीच सतर्कता की कमी को उजागर करती है, जो खुद को सुरक्षित समझते हैं। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया है और धोखाधड़ी व चोरी के तहत केस दर्ज करने की तैयारी कर रही है। डीसीपी पूर्वी ने कहा कि आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
यह घटना यूपी में बढ़ते प्रॉपर्टी स्कैम को दर्शाती है, जहां सरकारी योजनाओं का नाम लेकर लोग ठगी करते हैं। पीड़ित पुलिसकर्मियों को अब नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ सकता है। कुल मिलाकर, यह मामला समाज में विश्वास की कमी को बढ़ावा देता है। पुलिसकर्मियों को भी सलाह दी जा रही है कि प्रॉपर्टी डीलिंग में सावधानी बरतें और वेरिफिकेशन कराएं।
Post Views: 63