लखनऊ 11 सितंबर 2025। UP Congress: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है, और अब सामने आ रही बड़ी वजहें इसके पीछे की सच्चाई उजागर कर रही हैं। राज्य में पार्टी का जनाधार सिकुड़ता जा रहा है, जो आगामी पंचायत चुनावों में भी स्पष्ट दिखाई देगा। विशेषज्ञों और पार्टी नेताओं के अनुसार, आंतरिक कलह, संगठनात्मक कमियां और नेतृत्व की अनुपस्थिति मुख्य कारण हैं।
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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनावों में केवल दो सीटें जीतीं, जो 2017 की सात सीटों से भी कम हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय होने के बावजूद, पार्टी को भाजपा और सपा के मजबूत संगठन के सामने हार का सामना करना पड़ा। आंतरिक कलह ने हाल ही में तीव्र रूप धारण किया है। वरिष्ठ नेता जैसे प्रमोद तिवारी और नसीम उद्दीन सिद्दीकी के बीच खुली टकराव ने संगठन को कमजोर कर दिया।
इसके अलावा, कई स्थानीय नेता सपा या भाजपा की ओर चले गए, जिससे ग्रामीण स्तर पर पार्टी का आधार क्षीण हो गया। पंचायत चुनावों में इसका असर और गहरा होगा। यूपी में पंचायत चुनाव 2026 में होने हैं, लेकिन तैयारियां अभी से प्रभावित हो रही हैं। कांग्रेस के पास ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत कार्यकर्ता तंत्र नहीं है, जबकि सपा और भाजपा ने स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत की है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि टिकट वितरण में भाई-भतीजावाद और युवा नेताओं को अनदेखा करने से कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा है।
इसके चलते कई जिलों में कांग्रेस के बूथ स्तर के नेता निष्क्रिय हो चुके हैं।विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने तत्काल आंतरिक सुधार नहीं किए, तो पंचायत चुनावों में वह हाशिए पर सिमट जाएगी। प्रियंका गांधी की रणनीति और युवा नेतृत्व को मजबूत करने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में पार्टी की एकजुटता ही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह कमजोरी न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है।
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