लखनऊ, 3 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 को बदलने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी ने इस औपनिवेशिक काल के कानून को आधुनिक और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्थाओं के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो। इस नए कानून का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिससे ऐसी संस्थाओं पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो सके।
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प्रस्तावित कानून में सोसाइटी के पंजीकरण, नवीनीकरण और संपत्ति प्रबंधन को और पारदर्शी बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। वर्तमान कानून में पारदर्शिता, निष्क्रिय या संदिग्ध संस्थाओं के निरस्तीकरण, और संपत्ति के सुरक्षित प्रबंधन के लिए स्पष्ट प्रावधानों की कमी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया कानून संस्थाओं की संपत्तियों की मनमानी बिक्री को रोकेगा और विवादों के समयबद्ध निपटारे की व्यवस्था करेगा। इसके लिए ठोस प्रावधान किए जाएंगे, ताकि कुछ लोगों की गलत मंशा से संस्थाओं का दुरुपयोग न हो।
योगी सरकार का यह कदम उन शिकायतों के बाद आया है, जिनमें सोसाइटी की संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण और प्रबंधन में अनियमितताओं की बात सामने आई थी। नए कानून में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संस्थाओं के आंतरिक कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप न्यूनतम हो, लेकिन पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन बरकरार रहे। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की मौजूदगी में हुई बैठक में सीएम ने जोर दिया कि प्रबंध समिति ही संस्था के संचालन का फैसला करे, न कि बाहरी प्रशासक।
इसके अलावा, नया कानून ऑडिट और वित्तीय अनुशासन को मजबूत करेगा। बड़ी सोसाइटीज के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट और वेबसाइट अनिवार्य करने जैसे प्रावधानों पर विचार किया जा रहा है। यह कदम शिक्षा, स्वास्थ्य और धर्मार्थ कार्यों में लगी संस्थाओं को और प्रभावी बनाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि नया कानून समाजोपयोगी कार्यों को बढ़ावा दे और सुशासन को मजबूत करे।
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