- भारत के कड़े कदम से पाकिस्तान में हड़कंप
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भारत ने बदला सिंधु जल संधि का समीकरण
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सिंधु जल संधि पर भारत का सख्त रुख, शहबाज शरीफ परेशान
जम्मू-कश्मीर, 25 अगस्त 2025। India’s New Normal: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को स्थगित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसे भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा। इसके जवाब में भारत ने न केवल संधि को निलंबित किया, बल्कि कई सख्त कदम उठाए, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई है।
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भारत ने हाल ही में बाढ़ की चेतावनी भेजने के लिए सिंधु जल आयोग के बजाय राजनयिक माध्यमों का उपयोग किया, जिस पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई। यह कदम भारत की नई रणनीति का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तानी मीडिया ने ‘न्यू नॉर्मल’ करार दिया है।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का राजनयिक चैनलों के जरिए बाढ़ के आंकड़े भेजना संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है।
इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग ने 24 अगस्त को तवी नदी में बाढ़ की सूचना दी, जिसे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। पाकिस्तानी अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि भारत इस कदम से एक नया सामान्य स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, भारत ने स्पष्ट किया कि यह सूचना मानवीय आधार पर साझा की गई, न कि संधि के तहत। सिंधु जल संधि के तहत भारत को रावी, सतलज और ब्यास नदियों पर पूर्ण नियंत्रण है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब का अधिकांश पानी पाकिस्तान को जाता है।
संधि के निलंबन से भारत अब इन नदियों के पानी का अधिकतम उपयोग करने की योजना बना रहा है। जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि तत्काल, मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं के जरिए भारत जल संसाधनों में आत्मनिर्भर बनेगा। तत्काल कदमों में पानी की धारा को नियंत्रित करना, मध्यम अवधि में बांधों और नहरों का निर्माण, और दीर्घकालिक रणनीति में जल संरक्षण और नई तकनीकों को अपनाना शामिल है। इस फैसले से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों को लाभ होगा।
किशनगंगा, रतले, और शाहपुरकांडी जैसी परियोजनाओं से भारत पानी रोककर अपनी कृषि और बिजली जरूरतों को पूरा करेगा। वहीं, पाकिस्तान में जल संकट गहराने की आशंका है, क्योंकि वह अपनी 80% खेती और बिजली के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, लेकिन भारत ने साफ किया कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा।
पाकिस्तान ने इस मुद्दे को विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने की बात कही, लेकिन भारत ने पहले ही हेग की मध्यस्थता से इनकार कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम रणनीतिक और कानूनी है, जो राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है। यह कदम भारत की बदलती विदेश नीति और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत संदेश है।
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