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मिशन सुदर्शन चक्र का पहला कदम, IADWS ने पास किया परीक्षण
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DRDO की बड़ी कामयाबी, IADWS, भारत का नया रक्षा हथियार
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2035 तक अभेद्य सुरक्षा, मिशन सुदर्शन चक्र और IADWS की ताकत
नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025। Mission Sudarshan Chakra:15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की थी। इस मिशन ने 24 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर तट पर स्वदेशी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया। इस परीक्षण में IADWS ने अलग-अलग रेंज और ऊंचाइयों पर तीन लक्ष्यों को एक साथ नष्ट कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इसे ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है, जो भारत को 2035 तक एक अभेद्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगा।
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IADWS, मल्टीलेयर रक्षा प्रणाली
IADWS एक बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें तीन प्रमुख घटक शामिल हैं: क्विक रिएक्शन सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), अति लघु दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS), और लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW)। QRSAM, जिसे DRDO ने विकसित किया है, 30 किमी की रेंज में दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम कर सकता है।
VSHORADS, एक मैन-पोर्टेबल सिस्टम, 300 मीटर से 6 किमी तक ड्रोन और अन्य खतरों को नष्ट करने में सक्षम है। DEW लेजर तकनीक से फाइटर जेट, मिसाइलों और ड्रोन को बेअसर करता है। इन सभी को एक केंद्रीकृत कमांड और कंट्रोल सिस्टम से संचालित किया जाता है, जो 360 डिग्री कवरेज और ‘सर्च ऑन मूव’ क्षमता प्रदान करता है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए DRDO, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी, इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। यह सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी है और हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) द्वारा विकसित किया गया है। यह मिशन न केवल रक्षा करता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन पर पलटवार भी कर सकता है।
2035 तक भारत का सुरक्षा कवच
‘मिशन सुदर्शन चक्र’ का लक्ष्य 2035 तक देश के प्रमुख शहरों, सैन्य ठिकानों और असैन्य स्थलों को ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचाने के लिए एक मजबूत रक्षा प्रणाली स्थापित करना है। यह सिस्टम इजरायल के आयरन डोम जैसी उन्नत तकनीक से प्रेरित है, जो भारत को भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।
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